चाणक्य नीति: अगर बनना चाहते हैं धनवान, तो अपनाएं ये 4 टिप्स
आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति का मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है. चाणक्य नीति में मुख्य रूप से धर्म, संस्कृत, न्याय, शांति, शिक्षा से जुड़ी मानव-जीवन की प्रगति की झांकियां प्रस्तुत की गई हैं. इस ग्रंथ से व्यक्ति को जीवन के सभी समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है. ‘चाणक्य नीति’ में आचार्य ने धनवान बनने और मां लक्ष्मी की कृपा पाने से जुड़ी कई बातें बताई हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में…
उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणाम्।
तडागोदरसंस्थानां परीस्रव इवाम्भसाम्।।
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को धनवान बनने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. वो कहते हैं कि सबसे पहले मनुष्य को धन के खर्च और उसे बचाने का तरीका पता होना चाहिए. उनके मुताबिक पैसे का सही इस्तेमाल न हो तो वो व्यक्ति को गरीब बना देता है. साथ ही वो कहते हैं कि जैसे तालाब का पानी ज्यादा दिन तक एक जगह रहने से सड़ जाता है ठीक वैसे ही पैसे को ज्यादा दिन तक बचाकर रखने से भी उसका महत्व खत्म हो जाता है.
चाणक्य कहते हैं कि पैसों के लेन-देन के मामले में शर्म को परे रख देना ही सही होता है. पैसों के मामले में शर्म करने पर व्यक्ति कई बार अपने ही पैसों से वंचित रह जाता है. साथ ही व्यापार में उसे भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ता है और देखते ही देखते गरीबी उसे घेर लेती है. इसलिए पैसों के मामले में व्यक्ति को अपना रुख स्पष्ट रहना चाहिए.
आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति को पैसों के मामले में लोभी या अहंकारी नहीं होना चाहिए. जो लोग पैसों का लालच करते हैं और उसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होते हैं वो कभी सुखी नहीं रह पाते. साथ ही पैसों का अहंकार भी व्यक्ति को नष्ट कर देता है. यानी व्यक्ति को अपने सही कर्मों के आधार पर अर्जित होने वाले धन का इस्तेमाल अपने जीवन को आगे की ओर ले जाने में करना चाहिए.
पैसे की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को गलत रास्ते का सहारा नहीं लेना चाहिए. चाणक्य के मुताबिक गलत रास्ते से अर्जित किया गया धन ज्यादा दिनों तक नहीं ठहरता और वो व्यक्ति को आगे चलकर काफी नुकसान पहुंचाता है.