बच्चो के लिए बेहद खतरनाक हैं कोरोना की थर्ड वेव, क्या? इस साल भी स्कूल का मुंह नहीं देख पाएंगे छात्र
सरकारी पैनल ने केंद्र को एलर्ट करते हुए कहा है कि अक्टूबर के बाद तीसरी लहर आ सकती है. वहीं भारत में कोरोना की दूसरी लहर इस साल जुलाई तक थमेगी. हालातों के विश्लेषण के आधार पर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जिस तरह के हालात हैं और थर्ड वेव को लेकर जिस तरह के अनुमान हैं, उससे इस साल स्कूल खुलना मुश्किल है. जानिए विशेषज्ञों की क्या राय है.
भारत सरकार के एक्सपर्ट पैनल की मानें तो अब से करीब छह से आठ महीनों में महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका है. यह अनुमान भारत सरकार के विज्ञान मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित वैज्ञानिकों के तीन सदस्यीय पैनल ने लगाया है. भारत सरकार को इसके लिए अलर्ट भी किया गया है. इस एलर्ट ने सभी राज्य सरकारों और प्रशासनिक इकाइयों की नींद उड़ा दी है.
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि बीते एक साल से करीब 90 प्रतिशत छात्रों ने स्कूलों का रुख नहीं किया है. स्कूल लगातार ऑनलाइन पढ़ाई के जरिये अपना पाठ्यक्रम पूरा करा रहे हैं. अब माहौल थोड़ा सही होने पर उम्मीद बंधी थी कि शायद इस साल जुलाई तक स्कूल खुल जाएं. लेकिन फरवरी से जिस तरह कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने लोगों को मुसीबत में डाला, वो भयावह था.
अपराजिता कहती हैं कि देश भर के पेरेंट्स इस भयावह स्थिति में स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं. वहीं स्कूलों ने इस पूरे एक साल में तकनीकी रूप से बहुत ज्यादा सुधार नहीं किया. ऑनलाइन पढ़ाई के जरिये छात्र उस गति से सीख नहीं पा रहे हैं जिस तरह वो क्लासरूम में सीखते हैं. साथ ही कई स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि करने की भी बात सामने आई है.
इस तरह के हालातों में स्कूलों को अपना नया एकेडमिक सेशन ऑनलाइन माध्यम से ही शुरू करना होगा. क्योंकि छह महीने के अंतराल की बात करें तो अपराजिता कहती हैं कि अभी तक सेकेंड वेव का ही असर नहीं गया है. अब आगे थर्ड वेव का डर पहले ही सामने है. अगर स्कूल कॉलेज खुले तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है. इसलिए स्कूलों को बंद रखने में ही भलाई है.
अपराजिता कहती हैं कि बीते साल जब सरकार ने तमाम सहूलियतों और प्रोटोकॉल के साथ स्कूलों को खोलने की इजाजत दी तो ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें स्कूल प्रोटोकॉल लागू करा पाने में सफल नहीं हो पाए. कई स्कूलों में एक साथ कई बच्चों के पॉजिटिव होने की खबरें भी सुर्खियों में रहीं. इसलिए ऐसा मुमकिन नहीं है कि इस साल भी प्रोटोकॉल फॉलो कराने का वादा करके स्कूल खोले जाएं.
एल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल की अनुशासन कमेटी के इंचार्ज राजीव झा कहते हैं कि कोरोना की थर्ड वेव की आशंका बच्चों को लेकर है, ऐसे में स्कूल भी अपनी तरफ से खोलने की किसी जल्दबाजी में नहीं है. लेकिन अभिभावकों के लिए ये अच्छी खबर है कि बहुत से स्कूलों ने बीते एक साल में ऑनलाइन अध्ययन को काफी सुधारा है. जिस समय कोरोना ने दस्तक दी थी, स्कूलों के लिए ये एकदम नया अनुभव था.
इस बीते एक साल में न सिर्फ बच्चे बल्कि टीचर्स भी ऑनलाइन पढ़ाई में खुद को काफी अपग्रेड कर चुके हैं. सीबीएसई बोर्ड भी इस दिशा में लगातार काम कर रहा है. टीचर्स को सीपीडी कॉम्प्रेहेंसिव प्रोफेशनल डेवलेपमेंट के जरिये और भी मजबूत किया जा रहा है. हां बच्चों में थोड़ा मुश्किल की बात ये है कि उनका स्क्रीन टाइम थोड़ा बढ़ गया है जोकि चिंताजनक है.