चीन का यह नया सीमा कानून लागू होने से क्यों चिंतित है भारत, जानें एक्सपर्ट व्यू
हांगकांग में चीन के विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बाद अब ड्रैगन के नए सीमा कानून पर बहस तेज हो गई है। हालांकि, चीन का यह नया सीमा कानून अगले साल जनवरी में लागू होगा और अभी उसने इस कानून का पूरा खाका पेश नहीं किया है, लेकिन इसको लेकर अटकलों का बाजार काफी गरम है। चीन की आक्रामकतावादी नीति के कारण यह कानून भी शक की निगाह से देखा जा रहा है। खासकर भारत की इस कानून पर पैनी नजर है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन की सीमा से लगने वाले देशों के लिए यह कानून अहम हो सकता है। आइए जानते हैं चीन के इस नए सीमा कानून के बारे में। आखिर क्या है चीन का नया सीमा कानून ? आखिर भारत को इस कानून से बड़ी चिंता क्यों है ? क्या इस कानून के बहाने चीन भारत पर दबाव की रणनीति अपना रहा है ?
आखिर क्यों चिंतित है भारत
1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि चीन के इस कानून से भारत का चिंतित होना लाजमी है। उन्होंने कहा कि मंगोलिया और रूस के बाद चीन की सबसे लंबी सीमा भारत से लगती है। चीन की भारत समेत 14 देशों के साथ 22,475 किलोमीटर लंबी सीमा भारत से लगी है। भारत की तरह रूस और मंगोलिया के चीन के साथ कोई सीमा विवाद नहीं है। भारत के अलावा भूटान के साथ चीन की 447 किलोमीटर की सीमा विवादित है। इसमें से 12 देशों के साथ भूमि विवाद का निपटारा चीन कर चुका है। भूटान के साथ लगी 400 किमी की सीमा पर इसी साल 14 अक्टूबर को चीन ने सीमा विवाद के निपटारे के लिए थ्री स्टेप रोडमैप के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। ऐसे में भारत ही अकेला देश है, जिसके साथ चीन का सीमा विवाद अब तक जारी है।
2- प्रो. पंत ने कहा कि भारत-चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा साझा करता है। दोनों देशों की सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। दोनों देशों के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हो सका है। हालांकि, यथास्थिति बनाए रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी लाइन आफ कंट्रोल शब्द का इस्तेमाल होता है।
3- भारत को यह चिंता सता रही है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर यथास्थिति बदलने के कदम को सही ठहराने के लिए लैंड बाउंड्री कानून का प्रयोग कहीं न करे। यही कारण है कि भारत ने चीन के इस कानून की कड़ी निंदा की है। भारत ने अपने स्टैंड को क्लियर करते हुए कहा है कि यह कानून चीन का एकतरफा रुख है। चीन इस तरह के कानून का निर्माण करके दोनों पक्षों के बीच की मौजूदा व्यवस्था को बदल नहीं सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान होना बाकी है।
4- उन्होंने कहा कि चीन का यह नया कानून ऐसे वक्त आया है जब चीन का भारत के साथ पूर्वी लद्दाख और पूर्वोत्तर राज्यों में लंबे समय से विवाद चल रहा है। हालांकि, इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी बावजूद इसके गतिरोध अभी भी कायम है। खास बात यह है कि चीन ने नए भूमि सीमा कानून में सीमा की रक्षा को चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से जोड़ दिया है। यह भारत के लिए चिंता का सबब है।
5- भारत के अलावा चीन को इस बात का भी भय सता रहा है कि शिनजियांग प्रांत के वीगर मुसलमानों से संबंध रखने वाले इस्लामी चरमपंथी सरहद पार करके उसकी तरफ आ सकते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत आने के बाद चीन को यह चिंता और सताए जा रही है। यही कारण है कि चीन अफगानिस्तान के हालात पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। इसके अलावा वियतनाम और म्यांमार से अवैध रूप से सीमा पार करने वालों लोगों की वजह से कोरोना संक्रमण का भी खतरा उसे सता रहा है।
क्या है चीन का सीमा सुरक्षा कानून
23 अक्टूबर को चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्टैंडिग समिति ने इस कानून को पास किया था। चीन के इस कानून का मकसद जमीन से जुड़ी सीमाओं की सुरक्षा और उसका इस्तेमाल करना है। नए कानून में सीमा के साथ सीमावर्ती इलाकों में निर्माण, कार्य संचालन में सुधार पर जोर दिया गया है। कानून के मुताबिक सीमा से जुड़े इलाकों में चीन, सीमा सुरक्षा मजबूत करने, आर्थिक और सामाजिक विकास में सहयोग, सार्वजनिक सेवाओं और आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए कदम उठा सकता है। इस कानून में यह प्रावधान है कि सीमा सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले किसी सैन्य टकराव या युद्ध की स्थिति में चीन अपनी सीमाएं बंद कर सकता है।