लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में क्रेडिट स्कोर की भूमिका बहुत अहम होती
भूमिका बहुत अहम होती
जब भी आपको लोन की जरूरत होती है, तो क्रेडिट स्कोरकी भूमिका काफी अहम हो जाती है। आपकी सैलरी कितनी है या हर महीने बिजनेस से आपको कितनी आमदनी होती है, इन सब बातों के अलावा आपका क्रेडिट स्कोर कितना है, यह भी बहुत मायने रखता है। क्रेडिट स्कोर से बैंक और वित्तीय संस्थाएं इस बात का पता लगाती हैं कि आपको कितना लोन मिलना चाहिए और उसके ब्याज की दर क्या होनी चाहिए। अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री ठीक है तो आपके लोन एप्लिकेशन रिजेक्ट नहीं होते और मंजूरी भी जल्दी मिल जाती है।जब भी आपको लोन की जरूरत होती है, तो क्रेडिट स्कोर की भूमिका काफी अहम हो जाती है। आपकी सैलरी कितनी है या हर महीने बिजनेस से आपको कितनी आमदनी होती है, इन सब बातों के अलावा आपका क्रेडिट स्कोर कितना है, यह भी बहुत मायने रखता है। क्रेडिट स्कोर से बैंक और वित्तीय संस्थाएं इस बात का पता लगाती हैं कि आपको कितना लोन मिलना चाहिए और उसके ब्याज की दर क्या होनी चाहिए। अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री ठीक है तो आपके लोन एप्लिकेशन रिजेक्ट नहीं होते और मंजूरी भी जल्दी मिल जाती है।
ईएमआई या क्रेडिट कार्ड पेमेंट की आखिरी तारीख न भूलें
घर या गाड़ी की मासिक किस्त या अपना क्रेडिट कार्ड बिल पे करने की आखिरी तारीख न भूलें। इन दोनों में किसी भी तरह की देरी का आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यदि आपके पास पैसा नहीं है तो आखिरी तारीख से पहले किसी तरह फंड की व्यवस्था करके अपना बिल या ईएमआई जरूर पे कर दें। कई लोग ऐसे मामलों में सुस्त रहते हैं या उन्हें आखिरी तारीख याद नहीं रहती। अगर आप भी ऐसे हैं तो इसमें थोड़ी चुस्ती दिखानी होगी।
क्रेडिट लिमिट के मुकाबले कितना कर्ज लिया है
आपकी कुल क्रेडिट लिमिट कितनी है और आपने उसके मुकबले कितना कर्ज लिया है, इस बात से भी बहुत फर्क पड़ता है। आपका क्रेडिट उपयोगिता अनुपात जितना कम होगा, आपका क्रेडिट स्कोर उतना ही बेहतर होगा। उदाहरण के लिए यदि आपकी कर्ज सीमा 1 लाख रुपये है और आपने 50,000 रुपये का कर्ज लिया है, तो आपका क्रेडिट उपयोगिता अनुपात 50 फीसदी का होगा। आपके पास कितने क्रेडिट कार्ड हैं और आपने लोन एमाउंट का कितना हिस्सा इस्तेमाल किया है, इन सब बातों का भी बहुत महत्व है। कंपनियां लोन के लिए उन ग्राहकों को प्राथमिकता देती हैं जिन्होंने कुल लिमिट का 40 फीसदी से कम लोन लिया हो। यानी यह अनुपात जितना कम होगा, आपके लिए लोन लेना उतना ही आसान होगा।
इनकम और ईएमआई का अनुपात
आपकी इनकम कितनी है और आपने लोन कितना लिया हुआ है, इसका ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। अधिकतम ईएमआई-टू-इनकम सीमा 50 फीसदी तक की मानी जाती है। यदि आपकी मासिक आय 50,000 रुपये है और आपकी मौजूदा ईएमआई 10,000 रुपये की है, तो आपका ईएमआई-टू-इनकम अनुपात 20 फीसदी होगा। यदि इसके बाद आप किसी लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो बैंक यह मानकर चलेगा कि आप अतिरिक्त 15,000 रुपये की ही ईएमआई चुका सकते हैं, क्योंकि 10,000 रुपये की ईएमआई तो पहले से ही चल रही है।
कार्ड लिमिट को बार-बार न बढ़ाएं
बहुत से लोग कार्ड लिमिट को लेकर संजीदा होते हैं। उन्हें लगता है कि अधिक क्रेडिट लिमिट का होना एक बड़ी उपलब्धि की तरह है। कई लोग आपने खर्चों से परेशान होकर क्रेडिट लिमिट बार-बार बढ़ा लेते हैं। लेकिन ऐसे में उन्हें फायदा होने की जगह नुकसान अधिक होने लगता है। जितनी अधिक क्रेडिट लिमिट होगी, उतना ही आप अधिक खर्च करेंगे। याद रखें कि अंत में बिल आप ही को भरना है। बिल न दे पाने की स्थिति में आपका क्रेडिट स्कोर बिगड़ जाएगा।
लोन के सेटलमेंट से बचें
कर्ज न चुका पाने की स्थिति में ज्यादातर लोग बैंक के साथ सेटलमेंट कर लेते हैं। लेकिन अगर आपने सेटलमेंट किया है तो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में इस बात का भी जिक्र होता है। यह आपके क्रडिट स्कोर पर नकारात्मक असर डालता है। सेटलमेंट किए गए हर लोन को कर्जदाता आपने लिए जोखिम मानता है।
क्रेडिट रिपोर्ट में कोई गलती तो नहीं
कई बार क्रेडिट रिपोर्ट में कोई छोटी-मोटी गलती हो जाती है, जिस पर हम गौर नहीं करते। बाद में इसका खामियाजा कमजोर क्रेडिट स्कोर के रूप में भुगतना पड़ता है। इसी बचने के लिए हर महीने अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें।
लोन के लिए आवेदन से पहले क्रेडिट रिपोर्ट जांच लें
अगर आप लोन के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं तो अपना क्रेडिट स्कोर जरूर जांच लें। यदि आपका स्कोर कम है तो बैंक या तो आपसे अधिक ब्याज ले सकता है या फिर आपका एप्लिकेशन कैंसिल कर सकता है।
गारंटर बनने से बचें
जॉइंट अकाउंट होल्डर या लोन के गारंटर बनने से बचें, क्योंकि दूसरी पार्टी से कोई डिफॉल्ट भी आपके सिबिल स्कोर को प्रभावित कर सकता है।