जवाहर लाल नेहरू के पूर्व छात्र और कार्यकर्ता उमर खालिद को एक बार फिर से SC से लगा झटका
जवाहर लाल नेहरू के पूर्व छात्र और कार्यकर्ता उमर खालिद को एक बार फिर से झटका लगा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई को 24 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के पीछे की कथित साजिश से संबंधित UAPA मामले में जमानत के लिए पूर्व JNU छात्र उमर खालिद की याचिका पर 24 जुलाई को सुनवाई करेगा।
SC ने दिल्ली पुलिस से मांगा था जवाब
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील रजत नायर ने पीठ से आग्रह किया कि उन्हें मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय दिया जाए।
खालिद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जमानत मामले में, कौन सा जवाब दाखिल किया जाना है। वह आदमी दो साल और 10 महीने से अंदर है। नायर ने कहा कि वह इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए थोड़े समय के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आरोप पत्र भारी भरकम है, यह हजारों पन्नों में है। उन्होंने पीठ से उन्हें कुछ उचित समय देने का अनुरोध किया।
24 जुलाई तक टली सुनवाई
पीठ ने कहा कि यह आज तैयार हो जाना चाहिए था’ और मामले की सुनवाई 24 जुलाई को तय की। 18 मई को शीर्ष अदालत ने खालिद की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था।
उमर खालिद ने अपनी अपील में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसे मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
पिछले साल 18 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में थे और उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरोपियों की हरकतें प्रथम दृष्टया आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत (anti-terror law UAPA) आतंकवादी कृत्य के रूप में योग्य हैं।
खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के “मास्टरमाइंड” होने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) (anti-terror law Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 53 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।
CAA और NRC के दौरान भड़की थी हिंसा
CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी।
सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खालिद ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही मामले में किसी अन्य आरोपी के साथ कोई “षड्यंत्रकारी संबंध” था।
उच्च न्यायालय के समक्ष, दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके द्वारा दिया गया भाषण “बहुत गणनात्मक” (very calculated) था और इसमें बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कश्मीर, मुसलमानों के कथित दमन और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे मुद्दे उठाए गए थे।