शोध प्रवेश परीक्षा केवल अंग्रेजी में करवाने को लेकर छात्रों में आक्रोश, बीएचयू में निकला मार्च

वाराणसी। देश में इन दिनों हिंदी भाषा को लेकर चर्चाओं का माहौल गर्म है। हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने को लेकर हो या प्रतियोगी परीक्षाओं को हिंदी भाषा में करवाए जाने को लेकर, समय–समय पर यह मुद्दा चर्चा में रहता है । इन दिनों शोध प्रवेश परीक्षा को हिंदी के बजाए केवल अंग्रेजी में करवाए जाने को लेकर देश के सबसे प्रतिष्ठित चार विश्वविद्यालयों के छात्रों ने विरोध शुरू किया है।मामला NTA के द्वारा करवाए जाने वाले संयुक्त शोध परीक्षा को चार विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी भाषा में परीक्षा करवाए जाने के नोटिफिकेशन को लेकर छात्रों में आक्रोश का माहौल है। छात्रों ने इस नोटिफिकेशन को हिंदी भाषा का अपमान और हिंदी भाषीय विद्यार्थियों के अनदेखी का आरोप लगाकर विरोध – प्रदर्शन किया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने विरोध स्वरूप प्रतिकार मार्च निकालकर UGC चेयरमैन के साथ विश्वविद्यालयों के कुलपति का पुतला फूंका है।

देश के चार प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी में परीक्षा करवाए जाने पर छात्रों में आक्रोश

यूजीसी के चेयरमैन का पुतला दहन कर अपना विरोध दर्ज करवाने वाले छात्रों के अनुसार काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के साथ बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में पीएचडी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा को अंग्रेजी भाषा में करवाए जाने का निर्णय लिया गया है। छात्रों के अनुसार इन चार केंद्रीय विद्यालय में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में होने से हिंदी भाषीय छात्रों को काफी कठिनाई होगी। इस निर्णय को वापस लेने कि मांग करते हुए छात्रों ने बीएचयू से प्रतिकार मार्च निकाला। इस दौरान छात्रों ने यूजीसी चेयरमैन के साथ चार मुख्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया।

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