उत्पन्ना एकादशी का व्रत बहुत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था और उन्होंने राक्षस मुर का वध किया था, जिससे तीनों लोकों को राहत मिली थी। यही वजह है कि इस पावन तिथि को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर को मनाई जाएगी। वहीं, इस दिन शिवलिंग पर कुछ वस्तुएं अर्पित करने से शिव जी की विशेष कृपा मिलती है।
उत्पन्ना एकादशी पर शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें
दूध मिश्रित जल और बिल्व पत्र – एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल से अभिषेक करें। साथ ही 11 या 21 बिल्व पत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए चढ़ाएं। बिल्व पत्र पर चंदन या अष्टगंध से ‘ॐ’ लिखकर चढ़ाना ये और भी ज्यादा शुभ माना जाता है। इससे आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
शमी पत्र – अगर आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा है या फिर आपको कामों में लगातार असफलता मिल रही है, तो उत्पन्ना एकादशी पर शिवलिंग पर शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। शमी के पत्तों को शनिदेव से भी जोड़ा जाता है, इसलिए इसे चढ़ाने से शनि की ढैया और साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव से छुटकारा मिलता है।
काले तिल – शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन शिवलिंग पर जल में काले तिल मिलाकर अर्पित करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और घर में बरकत आती है। साथ ही यह उपाय दुर्भाग्य को दूर कर सौभाग्य को बढ़ाता है।
शुद्ध घी – अगर आप समाज में मान-सम्मान यश पाना चाहते हैं, तो इस शुभ दिन पर शिवलिंग पर शुद्ध गाय का घी अर्पित करें। घी चढ़ाने के बाद, चंदन का लेप करने से यश बढ़ जाता है।
पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही किसी शिव मंदिर जाएं।
शिवलिंग पर सबसे पहले जल और दूध का अभिषेक करें।
इसके बाद, ऊपर बताई गई वस्तुओं को एक-एक करके श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं।
अंत में, घी का दीपक जलाकर शिव जी के वैदिक मंत्रों का जप कर आरती करें।


