कभी जेपी एसोसिएट्स (JP Associates) की टॉप कंपनी रही जेपी इंफ्राटेक आज सुरक्षा ग्रुप का पार्ट है। इस कंपनी ने उत्तर भारत में कई बड़ी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूर्ण किया है। इसी कंपनी ने नोएडा से आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण किया था। लेकिन जेपी ग्रुप की ये कंपनी बिक चुकी है। सुरक्षा ग्रुप ने इसका अधिग्रहण किया था।
बिकने के बाद जेपी इन्फ्रा (JP Infratech) ने जेपी ग्रुप की पैरेंट कंपनी जेपी एसोसिएट्स से 15 करोड़ रुपये की मांग थी। उसकी यह मांग ग्राहकों द्वारा घरों की खरीदारी के लिए जेपी द्वारा लिए गए पैसों पर मिलने वाले ब्याज को लेकर थी। सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट कंपनी JAL को होम बायर्स के हितों की रक्षा के लिए अपनी रजिस्ट्री में ₹2,000 करोड़ जमा करने का निर्देश दिया था। JAL ने ₹750 करोड़ जमा किए थे। बाद में यह राशि दोनों कंपनियों में बांटने का भी आदेश आया था। उसी पर मिलने वाले ब्याज को लेकर जेपी इन्फ्रा ने 15 करोड़ रुपये की मांग की थी। लेकिन उसकी इस मांग को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने ठुकरा दिया है।
NCLAT ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड को दिया झटका
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें उसने अपनी पेरेंट कंपनी, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) द्वारा JIL के इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस के दौरान जमा किए गए फंड पर ₹15 करोड़ का ब्याज मांगा था।
अपीलेट ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया कि JP Infratech Limited ₹546 करोड़ पर ब्याज क्लेम करने का हकदार नहीं है। यह रकम JAL ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट (SC) के निर्देशों पर होम-बायर्स के हितों की रक्षा के लिए जमा किए गए ₹750 करोड़ में से JIL को दी थी।
4 नवंबर 2025 को अपना फैसला सुनाते हुए, नई दिल्ली में NCLAT की प्रिंसिपल बेंच, जिसकी अध्यक्षता चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और टेक्निकल मेंबर बरुण मित्रा कर रहे थे, ने कहा कि इस लंबे समय से चल रहे मामले में अंतरिम और फाइनल आदेशों ने JIL को फंड पर ब्याज क्लेम करने का कोई अधिकार नहीं दिया। बेंच ने कहा, “एप्लीकेंट को NCLT और NCLAT द्वारा तय की गई पूरी रकम 750 करोड़ रुपये में से पहले ही मिल चुकी है, इसलिए आगे किसी निर्देश की जरूरत नहीं है। IA नंबर 3175/2025 को इसी के अनुसार खारिज किया जाता है।”
यह फंड जयप्रकाश एसोसिएट्स ग्रुप (Jaypee Associates Group) की सब्सिडियरी JIL के फाइनेंशियल रूप से दिवालिया होने से प्रभावित हजारों घर खरीदारों को फायदा पहुंचाने के लिए था, जब अगस्त 2017 में इसका कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) शुरू हुआ था।
2017 में शुरू हुई थी Jaypee Infratech Ltd की दिवालिया होने की प्रक्रिया
अगस्त 2017 में IDBI बैंक ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के सामने JIL के खिलाफ इनसॉल्वेंसी की कार्यवाही शुरू की थी। इस दौरान, SC ने पेरेंट कंपनी JAL को होमबायर्स के हितों की रक्षा के लिए अपनी रजिस्ट्री में ₹2,000 करोड़ जमा करने का निर्देश दिया था। JAL ने ₹750 करोड़ जमा किए, जिसे बाद में न्यायिक निर्देशों के अनुसार आवंटन के लिए जमा हुए ब्याज के साथ NCLT को ट्रांसफर कर दिया गया।
इसके बाद मार्च 2023 में, इलाहाबाद में NCLT ने ₹750 करोड़ जमा राशि के बंटवारे को लेकर JIL और JAL दोनों द्वारा दायर आवेदनों पर फैसला सुनाया। ट्रिब्यूनल ने दोनों कंपनियों के बीच फंड के बंटवारे की अनुमति दी, जिसमें JIL को ₹265.21 करोड़ और कुल मिलाकर लगभग ₹546 करोड़ की अतिरिक्त राशि मिली। हालांकि, इसने आनुपातिक ब्याज के लिए JIL के दावे को खारिज कर दिया, यह फैसला सुनाते हुए कि जमा राशि और उस पर जमा हुआ सारा ब्याज JAL का है।

