मिशेल को भारत लाने का सीक्रेट कोड था ‘यूनिकॉर्न’, डोभाल ने खुद संभाली ऑपरेशन की कमान
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले क्रिश्चियन मिशेल को लंबी कवायद के बाद सीबीआई भारत लाने में कामयाब हो गई है. मिशेल को लेकर दुबई से उड़ा गल्फस्ट्रीम का विमान मंगलवार रात दस बजकर 35 मिनट पर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरा. वहां से उसे सीधे सीबीआई मुख्यालय ले जाया गया. रातभर मिशेल को सीबीआई हेडक्वार्टर में ही रखा गया. आज सीबीआई ने उससे पूछताछ शुरू कर दी है. सीबीआई मिशेल को हिरासत में लेने के लिए रिमांड पेपर तैयार कर रही है. दोपहर बाद उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा.
मिशेल के प्रत्यर्पण की पूरी प्रक्रिया को बेहद सीक्रेट तरीके से अंजाम दिया गया. मिशेल को भारत लाने के लिए जो ऑपरेशन चलाया गया उसे बेहद गोपनीय रखा गया था. इस ऑपरेशन का नाम ‘यूनिकॉर्न’ रखा गया था, जिसकी बागडोर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के हाथों में थी. इस ऑपरेशन को इंटरपोल और सीआईडी ने मिलकर चलाया. ‘मिशन मिशेल’ को सफल बनाने के लिए डोभाल सीबीआई के प्रभारी निदेशक नागेश्वर राव के संपर्क में थे.
एयरपोर्ट पर दो घंटे की कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद रात डेढ़ बजे उसे सीधे सीबीआई हेडक्वार्टर ले जाया गया. क्रिश्चियन की सुरक्षा को लेकर सीबीआई ने खास इंतजाम किए थे. सूत्रों की मानें तो स्पेशल सेल की टीम भी एयरपोर्ट पहुंची थी. सीबीआई हेड क्वार्टर के बाहर भी बैरिकेडिंग लगाकर अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. जॉइंट डायरेक्टर सीबीआई खुद क्रिश्चियन मिशेल को लेने दुबई गए थे.
ब्रिटिश नागरिक होने के चलते मिशेल काउंसलर एक्सेस की भी कोशिश करेगा. अब सीबीआई मिशेल को कोर्ट में पेश करेगी, जहां वह आरोपी को और पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की कोशिश करेगी. सीबीआई अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से जुड़े और लोगों से मिशेल का सामना कर सकती है.
3600 करोड़ के वीवीआईपी हेलिकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में मिशेल की भारतीय जांच एजेंसियों को काफी समय से तलाश थी. 57 साल के मिशेल को फरवरी 2017 में दुबई में गिरफ्तार कर लिया था. इंटरपोल ने उसके खिलाफ 25 नवंबर 2015 में रेड नोटिस जारी किया था. दुबई में गिरफ्तारी के बाद 19 मार्च 2017 को भारत ने उसके प्रत्यर्पण करने की मांग की थी.
पिछले दिनों इंडिया टुडे ने दुबई की जेल से ही क्रिश्चियन मिशेल का इंटरव्यू किया था, जिसमें उसने अपने पिछले बयान पर कायम रहते हुए कहा था कि इस डील में यूपीए सरकार की लीडरशिप शामिल नहीं थी. मिशेल ने ये भी बताया था कि उसे एक डील साइन करने के लिए कहा गया था जिसमें कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बातें थीं, लेकिन उसने इस डील को ठुकरा दिया.
3600 करोड़ की हुई थी डील
3600 करोड़ के अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं. खासतौर पर कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप पर आरोप लगते रहे हैं. हालांकि, क्रिश्चियन मिशेल हर फोरम पर चॉपर डील में कांग्रेस नेतृत्व के शामिल होने की बात खारिज करता रहा है.
सीबीआई के मुताबिक मिशेल पर इस डील में सह-आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है. इसके तहत अधिकारियों ने वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की ऊंचाई 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर कर अपने सरकारी पद का दुरुपयोग किया. भारत सरकार ने आठ फरवरी 2010 को रक्षा मंत्रालय के जरिए ब्रिटेन की अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड को लगभग 55.62 करोड़ यूरो का ठेका दिया था.