अयोध्या मामले में रोजाना हो सकती है सुनवाई, मामले के निपटारे तक रोज बैठती है संविधान पीठ
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आई है. इस मामले पर 10 जनवरी से सुनवाई शुरू हो रही है. अब इस मामले को संविधान पीठ के हवाले कर दिया गया है. 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. अगर परंपरा पर नजर डालें तो इस मामले में अब रोजाना के आधार पर सुनवाई हो सकती है. मामले को पाँच जजों की बेंच सुनेगी जो संवैधानिक बेंच है.
संवैधानिक बेंच जिस दिन बैठती है उस दिन उस कोर्ट में अन्य मामले लिस्ट नहीं होते हैं. संवैधानिक पीठ पूरे दिन एक ही मामले पर सुनवाई करती है. परंपरा यही है कि वह बेंच मामले का निपटारा होने तक रोज़ाना बैठती है. पीठ मामले को लगातार सुनकर निपटाती है.
यह सुनवाई Non Miscellaneous Days यानि मंगलवार, बुधवार व गुरूवार होते हैं. संविधान चीफ जस्टिस रंजन गोगाई 5 जजों की बेंच के हेड होंगे. इस बैंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण शामिल होंगे.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था.फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए.जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए.सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए.
इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी. इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी.सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी.कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे.उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.