देवव्रत: ये उनका असली नाम था जो उन्हें उनकी माता गंगा ने दिया था। भीष्म प्रतिज्ञा लेने तक वे इसी नाम से जाने जाते रहे।
भीष्म: ये नाम उन्हें उनकी प्रतिज्ञा के कारण प्राप्त हुआ जो उन्होंने सदैव ब्रह्मचारी रहने के लिए की थी। भीष्म का अर्थ होता है भीषण और उनकी भीषण प्रतिज्ञा के कारण देवताओं और शांतनु से उन्हें ये नाम प्राप्त हुआ।
गंगापुत्र: ये नाम उन्हें गंगा का पुत्र होने के कारण प्राप्त हुआ।
शान्तनव: ये नाम उन्हें शांतनु का पुत्र होने के कारण प्राप्त हुआ।
पितामह: कुरुवंश के वयोवृद्ध होने के कारण उन्हें ये नाम प्राप्त हुआ।
महामहिम: आर्यावर्त के सर्वश्रेष्ठ योद्धा होने के कारण उन्हें महामहिम भी कहा जाता था।
गौरांग: उनके गौर वर्ण के कारण उन्हें ये नाम प्राप्त हुआ।
श्वेतवीर: सदैव श्वेत वस्त्रों को धारण करने और निष्कलंक स्वाभाव के कारण उन्हें ये नाम मिला।
अष्टवसु: आठवें वसु द्यौ (प्रभास) के अंशावतार होने के कारण उन्हें ये नाम मिला।
अजेय: उन्हें पराजित करना किसी के लिए भी संभव नहीं था। विशेषकर परशुराम को युद्ध में पराजित करने के कारण उन्हें ये नाम मिला।
इच्छामृत्युधारी: इन्हे अपने पिता शांतनु से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था जिस कारण उनकी इच्छा के बिना मृत्यु उन्हें स्पर्श नहीं कर सकती थी। ये नाम उन्हें इसी कारण मिला।
प्रस्वपास्त्रधारी: महाभारत और रामायण में ब्रह्मास्त्र के ज्ञाता कई हैं। स्वयं भीष्म को भी ब्रह्मास्त्र का ज्ञान था किन्तु प्रस्वपास्त्र एक विशेष अस्त्र था जो केवल भीष्म के पास ही था। अन्य किसी भी योद्धा के पास इस अस्त्र के होने का वर्णन नहीं मिलता। इसी कारण भीष्म को प्रस्वपास्त्रधारी भी कहा जाता है।