मृत्यु के बाद सबसे पहले यहाँ पहुंचती है आत्मा, धर्म ग्रंथ है इस बात के गवाह
धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि इंसान के जन्म के समय ही उसके मरण का समय निश्चित कर दिया जाता है। कहते हैं शरीर तो मरण है लेकिन आत्मा आमरण है वह कभी नहीं मरती है लेकिन आत्मा को मृत्यु के बाद भी बहुत से दुख सहने पड़ते हैं यदि कोई अच्छा कर्म करने वाला व्यक्ति होता है तो उसे किसी दुख का सामना नहीं करना पड़ता लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में कोई बुरे कर्म करता है तो उसे मरणोपरांत उसी के अनुसार सजा भी भुगतनी पड़ती है। आज हम आपको बताएंगे कि मरणोपरांत एक इंसान की आत्मा कहां कहां होकर गुजरती है और किस तरह से उसके जीवन मरण का पूरा ब्यौरा उसके आंखों के सामने दिया जाता है। मरे हुए इंसान की आत्मा को उसके अच्छे व बुरे कर्मों के अनुसार सजा तो दी ही जाती है लेकिन उससे पहले बताए जाते हैं उसके जीवन भर के सभी अच्छे और बुरे कामों का व्रतांत। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं मरणोपरांत किस तरह की यात्रा होती है एक आत्मा की।
मृत्यु के बाद जब इंसान शरीर धारण करता है, इसका ठीक-ठीक ज्ञान तो परमेश्वर को है। किन्तु जैसा कुछ ज्ञान हमें शास्त्रों से प्राप्त होता है वैसा यहाँ लिखते हैं। बहुत से उपनिषदों में मृत्यु व अन्य शरीर धारण करने का वर्णन मिलता है। वर्तमान शरीर को छोड़कर अन्य शरीर प्राप्ति में कितना समय लगता है। ऐसा बताया गया है कि हिंदू धर्म ग्रंथ गरुण पुराण में इंसान की मृत्यु व उसके बाद होने वाले कर्मों के बारे में बताया गया है।
गरुण पुराण के अनुसार इंसान की मृत्यु के समय यम के 2 दूत लेने के लिए आते हैं, जब कोई अच्छे कर्म करने वाले इंसान की मृत्यु का समय आता है तो वह आराम से उसकी आत्मा को अपने साथ लेकर चले जाते हैं। लेकिन बुरे कर्म बात करने वाले इंसान को बहुत ही खींचतान करके ले जाते हैं क्योंकि वह आसानी से जाने के लिए तैयार नहीं होता है उसे बहुत ही प्रताड़ना देकर वह अपने साथ लेकर जाते हैं।
ऐसा बताया जाता है कि उस आत्मा को सबसे पहले यमराज के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और 24 घण्टे तक उसे वहां रख कर उसे उसके जीवन काल में किए गए कर्मों के अनुसार सभी कर्म साक्षात दिखाए जाते हैं। उसके कर्मों का ब्यौरा उसे दिया जाता है उसके बाद उसे वापस वहीं पर छोड़ दिया जाता है जहां से लाया गया होता है। फिर 13 दिन तक उसकी सभी क्रियाविधि संपन्न होने के बाद उसे यम के दूत उसे वापिस ले लिए जाने आ जाते है।
शास्त्रों में बताया जाता है कि यमलोक ले जाने वाली आत्मा मात्र एक अंगूठा भर के बराबर होती है। यमलोक में से निकलते समय उसे अपने कर्मों के अनुसार बहुत सी यातनाएं दी जाती है। यमलोक की नगरी के उसको पूरे दर्शन कराए जाते हैं यम लोक में उपस्थित सारी प्रताड़नाएं वह भयानक से भयानक चीज़ उसे दिखाइ जाती है। 1 साल तक यह प्रक्रिया चलती है और उसके बाद यह निर्धारित किया जाता है कि उस मानव की आत्मा को कौन सी योनि, व स्वर्ग या नरक में भेजा जाएगा।
अपने जीवनकाल में अच्छे कर्म करने वाले इंसानो को इन सब प्रताड़नाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। उन्हें सीधे ही भगवान के विष्णु लोक में ले जाया जाता है जिस व्यक्ति की आत्मा विष्णु लोक में जाती है उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता है और जिनकी आत्मा नर्क या स्वर्ग में जाती है उनके जीवनकाल के कर्मो को देखते हुए यह निर्धारित किया जाता है कि उन्हें किस योनि व किस समय में पुनर्जन्म धारण कराना है।