हरियाणा सरकार के नए कदम के बाद राज्य के राइस मिलर्स अब पड़ गए नरम…
हरियाणा सरकार के नए कदम के बाद राज्य के राइस मिलर्स अब नरम पड़ गए हैं। राइस मिलर्स के तीखे तेवरों के बाद प्रदेश की सभी मिलों से पुलिस हटा ली गई है। धान खरीद में कथित घोटाले की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय से 158 अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है जो जिला स्तर पर गठित टीमों के साथ सभी 1314 राइस मिलों की फिजिकल वेरीफिकेशन करेंगे।
दूसरी ओर, इस मामले पर अब भारतीय किसान यूनियन का रुख गर्म हो गया है। भाकियू ने आरोप जड़ा कि जिस विभाग के अधिकारियों ने राइस मिल संचालकों के साथ मिलकर घोटाला किया, उसी को फिजिकल वेरीफिकेशन की जिम्मेदारी सौंपना गलत है। यह तो ऐसे है कि जैसे चोर खुद अपनी जांच करके बताएगा कि उसने चोरी की है या नहीं।
फिजिकल वेरीफिकेशन में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसर-कर्मचारियों को शामिल करने पर उठाए सवाल
राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन तथा व्यापार मंडल के विरोध-प्रदर्शन और हड़ताल की धमकी के बाद बृहस्पतिवार रात को ही सभी राइस मिलों से पुलिस कर्मचारियों को हटाने के आदेश दे दिए गए थे। फिजिकल वेरीफिकेशन के लिए सभी जिलों मेें उपायुक्त कार्यालय के एक कर्मचारी, मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी और मिलर्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी की टीम बनाई गई हैं जो एचसीएस व एएफएसओ की निगरानी में काम करेंगी।
फिजिकल वेरीफिकेशन में यह टीमें पता लगाएंगी कि मिलर्स ने कब और कितना धान खरीदा, कितना सीएमआर के लिए भेजा और कितना मिल में पड़ा है। सभी टीमों को 27 नवंबर तक रिपोर्ट देनी है जिसके बाद सरकार अगला कदम उठाएगी।
दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि फर्जी जे फार्म धान घोटाले को दबाने के प्रयास हो रहे हैं। मंडियों के रिकॉर्ड की जांच से पता लग सकता है कि कितने फर्जी जे फार्म काटे गए। जिन किसानों के जे फार्म काटे गए, उन्हें फोन कर सारी हकीकत सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सारा घोटाला राइस मिलर्स, मंडी व खरीद एजेंसियों के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ। जिन अधिकारियों ने मिलकर यह घोटाला किया, उसी विभाग के अफसरों को स्थान बदलकर फिजिकल वेरीफिकेशन के लिए भेजा जा रहा है।
किसानों को क्या होता नुकसान
फर्जी जे फार्म काटकर खरीद एजेंसियों का कोटा पूरा कर दिया जाता है, जबकि असली किसान को अपनी फसल व्यापारियों को कम कीमत पर बेचनी पड़ती है।
ऐसे खुल सकती हैं घोटाले की परतें
-आढ़ती के पास कितना गेहूं आता है और किस किसान का। अब उस आढ़ती के पास कितना धान आया और किस किसान का। इसका मिलान किया जाए। जिस किसान के नाम धान के जे फार्म काटे गए, उसके पास जमीन कितनी है। आरोप है कि कई आढ़तियों ने अपने मुनीमों के नाम पर भी जे फार्म काटे दिखाए हैं।
-विशेष किस्म के धान का कुल रकबा कितना था और एजेंसियों ने कितना धान खरीदा।
-मेरी फसल-मेरा ब्योरा के तहत पंजीकृत किसानों के नाम पर कितने जे फार्म काटे गए और किस आढ़ती ने काटे।
ऐसे चला खेल
28 सितंबर को कुरुक्षेत्र की एक राइस मिल में खरीद एजेंसी की टीम फिजिकल वेरीफिकेशन के लिए गई थी। राइस मिलर्स के रिकॉर्ड ओर खरीद एजेंसी के रिकॉर्ड का मिलान न होने पर रिकॉर्ड जब्त कर गया। इसके विरोध में राइस मिलर्स हड़ताल पर चले गए जिसके बाद पहली अक्टूबर को छह आइएएस अफसरों और तीनों राइस मिल एसोसिएशन के बीच मीटिंग हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि खरीद एजेंसियां भौतिक सत्यापन नहीं करेंगी। इससे फर्जी जे फार्म का रास्ता खुल गया। अब अधिकतर राइस मिलर्स ने दूसरे प्रदेशों से चावल मंगवा लिया है जिसे खरीद एजेंसी के धान की मिलिंग दिखाया जाएगा।