उमेश यादव और इशांत शर्मा ने खोला राज, बताया कैसे बांग्लादेश के खिलाफ बरपाया कहर
पिछले काफी समय से भारतीय टीम की तेज गेंदबाजी शानदार फॉर्म में है। भारत ही नहीं, विदेशी सरजमीं पर भी भारतीय तेज गेंदबाज कहर बरपा रहे हैं। बांग्लादेश के खिलाफ हाल ही में खेली गई टेस्ट सीरीज में भी कमोबेश यही हाल देखा गया, जब पहले टेस्ट की तुलना में कोलकाता में खेले गए दूसरे और डे-नाइट में तेज गेंदबाजों ने बांग्लादेशी बल्लेबाजी की हवा निकाल दी।
शानदार लय में चल रहे भारतीय तेज गेंदबाज उमेश यादव ने कहा कि उन्होंने गेंद को पकड़ने के तरीके में बदलाव किया, जिससे उनकी गेंदबाजी में पैनापन आया और आउटस्विंग को बेहतर करने में मदद मिली। उमेश ने भारत के पहले डे-नाइट टेस्ट मैच में बांग्लादेश के खिलाफ यहां 81 रन देकर आठ विकेट चटकाए, जिससे टीम ने रविवार को पारी और 46 रन की जीत दर्ज की। इस मैच में शानदार प्रदर्शन कर 9 विकेट चटकाने वाले इशांत शर्मा को मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला।
बीसीसीआइ.टीवी के लिए सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा के सवाल पर उमेश ने कहा, “मैंने गेंद पकड़ने के तरीके में बदलाव किया, जिससे मुझे काफी मदद मिली। पहले मेरी ग्रिप अलग थी, जिससे एक-दो गेंद स्विंग करती थीं, जबकि कुछ गेंद पैर की तरफ से निकल कर बाई के रूप में सीमा रेखा के पार चली जाती थीं। उस तरीके में ग्रिप पर नियंत्रण करना मुश्किल था। इसके बाद मैंने कोचों से बात की। कई बार हम आपस में भी बात करते हैं, फिर मुझे लगा कि जब मैं गेंद को सही तरीके से पकड़ता हूं तो मेरे पास गेंद को नियंत्रित और स्विंग करने का अच्छा मौका होता है। ऐसे में मैं नियमित तौर पर आउटस्विंगर करने में सफल रहा और कुछ गेंद अंदर भी डाल सकता हूं।”
वहीं, बांग्लादेश के खिलाफ पहली पारी में पांच और दूसरी पारी में चार विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने कहा कि कलाई की स्थिति में बदलाव करने से उन्हें कोण बनाने में मदद मिली, जिससे खासकर बायें हाथ के बल्लेबाजों के लिए स्थिति मुश्किल हो गई। उन्होंने कहा, “जब आप ज्यादा खेलते हैं तो आप खुद ही अपनी गेंदबाजी के बारे में जानते हैं। आप खुद सोचते हैं कि अपनी गेंदबाजी में क्या नया कर सकते हैं। मैं कलाई की स्थिति के हिसाब से गेंदबाजी के दौरान कोण बनाने में सफल रहा। ऐसे में जब बायें हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ मैं राउंड द विकेट गेंदबाजी कर रहा था तब उनके लिए काफी मुश्किल हो गया। इससे पहले मेरी गेंद पर बल्ले का किनारा नहीं लगता था। गेंद टिप्पा खाकर बाहर निकल जाती थी। जब मैं विकेट के सामने गेंद करता हूं और और गेंद बाहर की तरफ निकलती है तब बल्लेबाजों को खेलने में काफी दिक्कत होती है।”