बिहार में नवादा जिले की सड़कों की हालत देखकर खुद सीएम नीतीश कुमार हो गए परेशान….
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नवादा जिले के प्राणचक गांव में आयोजित कार्यक्रम को अधूरा छोड़कर लौट गए। क्योंकि वहां बनी नई सड़क पैदल चलने लायक नहीं थी, ऐसे में मुख्यमंत्री बीच रास्ते से ही लौट गए और वहां के स्कूल और जीविका का स्टॉल नहीं देख पाए। मुख्यमंत्री ने सड़क की गुणवत्ता पर नाराजगी जताई।
बता दें कि आज मुख्यमंत्री अपने जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत नवादा पहुंचे हैं और वहां के गांवों में जाकर वहां निर्मित तालाब, मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र और जीविका के स्टॉल को देखने पहुंचे थे। लेकिन, मुख्यमंत्री सड़क की वजह से प्राणचक गांव नहीं जा सके।
पटना-गया सड़क की बदहाली देखकर मुख्य न्यायाधीश हैं नाराज
पटना-गया सड़क की बदहाली को देखकर पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल इतने परेशान हो गए कि उन्होंने पटना से गया वापसी के लिए ट्रेन को चुना और अपनी गाड़ी गया में छोड़ दी। उन्होंने इस सड़क की दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जतायी और कहा कि सड़क एेसी थी कि मेरी हिम्मत जवाब दे गयी कि मैं गया से पटना गाड़ी से कैसे लौटूं?
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश प्रशासनिक दौरे पर सोमवार को पटना से गया सड़क मार्ग से गए थे और जाने के क्रम में गड्ढों की परेशानियों की वजह से अपनी कार को गया में ही छोड़ रेल मार्ग से गया से पटना लौटे। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पटना-गया सड़क की जो स्थिति एनएचएआई द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष पेश की गई वह यथार्थ से परे है।
कोर्ट ने सड़क की रिपोर्ट मांगी
मुख्य न्यायाधीश ने पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ताओं से उक्त सड़क मार्ग का मुआयना कर एक स्वतंत्र रिपोर्ट कोर्ट को देने को कहा है। इसके अलावा मौखिक रूप से केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यदर्शी संजय, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को अपने साथ एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी व प्रोजेक्ट डायरेक्टर को लेकर पटना- गया सड़क की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट कोर्ट को देने को कहा है।
एनएच 106 की दुर्दशा पर तत्कालीन चीफ जस्टिस ने भी कसा था तंज
एक साल के अंदर यह दूसरा मामला है जब पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सूबे में बदहाल हाईवे से हुई परेशानी से रूबरू होना पड़ा और अपनी पीड़ा बतानी पड़ी।
इसी साल जनवरी के पहले हफ्ते में ही हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी शाही ने वीरपुर (सुपौल) से मधेपुरा के बीच निर्माणाधीन एनएच 106 पर होने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की थी कि उस गड्ढे और धूल भरे एनएच पर चंद किलोमीटर गाड़ी से जाने में घंटे लग गए।
उन्होंने कहा था कि ऐसा लगा मानो वैतरणी (नदी) पार कर रहे हों। बाद में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मधेपुरा से गुजरने वाली एनएच की दुर्दशा व उस के निर्माण में हो रही देरी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे एक पीआईएल मामले के तौर पर सुनना शुरू किया था।