Madhya Pradesh News : ई-सर्विलांस टावर से 250 वर्ग किलोमीटर की रेंज तक तस्वीर होती हैं कैद
Madhya Pradesh News भोपाल के जंगल में शिकारी सक्रिय हैं, लेकिन तीन करोड़ रुपए के पांच ई-सर्विलांस टावर पर लगे आधुनिक कैमरे नहीं पकड़ पा रहे हैं। मुख्य टावर केरवा चौकी में लगा है, इसके चार सब टावर जंगल के अंदर लगे हैं। इन पर लगे आधुनिक कैमरे 250 वर्ग कलोमीटर जंगल पर नजर रखने में सक्षम हैं। बावजूद इसके शिकारी आए दिन वन्यप्राणियों को मारकर फरार हो जाते हैं।
आलम यह है कि जब से टावर लगे हैं, तब से फंदे लगाने व शिकार करने की एक भी घटना कैद नहीं हुई है। इसकी कई वजह है, शिकारियों को पता है कि कैमरे लगे हैं, इसलिए वे पहाड़ियों के आसपास छुपकर शिकार करते हैं, जहां वे कैमरों में कैद होने से बच जाते हैं। घने जंगल व पहाड़ियों में भी कैमरे काम नहीं कर पा रहे हैं।
भोपाल के केरवा चौकी में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति से तीन करोड़ रुपए की लागत से ई-सर्विलांस टावर लगाया है। इसके चार सब टावर मालाडोंगरी, झिरी, मिरियाकोट व एक अन्य स्थान पर लगे हैं। इन्हें जंगल पर नजर रखने लगाया है। इन पर तीन करोड़ रुपए खर्च आया है। इन टावरों के बावजूद शिकारी जंगल में सक्रिय है।
जख्मी बाघिन भी नहीं दिर्खीः डेढ़ महीने पहले भोपाल के भानपुर जंगल में शिकारियों ने फंदे लगाए। उसमें बाघिन भी जख्मी हो गई, लेकिन टावरों में यह घटना कैद नहीं हुई। एक महीने से बाघिन जंगल में जख्मी घूम रही है पर टावर की मदद से उसे नहीं पकड़ पा रहे हैं। कहीं न कहीं कैमरों की नजर भी धोखा खा रही है।
तेंदुए के शिकारी भी कैद नहीं: इसी बीच तेंदुए की मौत हुई है। उसके लिए भी फंदा डाला गया, फिर भाले से उसे मार दिया गया। शिकारियों की ये करतूत भी टावर में नहीं नहीं आई। वन विभाग का दावा है कि जहां तेंदुए की मौत हुई, वह जंगल से बाहर का क्षेत्र हैं। वह टावरों की जद में नहीं आता। यह घटना शनिवार को सामने आई थी।
सुअर के शिकारी भी नहीं दिखेः रविवार को बैरसिया रेंज के गुनगा में सुअर का शिकार किया। कुछ पारदी उसका मांस बेच रहे थे। इन घटनाओं के पहले हिरण, चीतल, नील गायों का शिकार हुआ है, लेकिन कोई भी घटना टावर में नहीं दिखी। ऐसा तब है, जबकि टावर में दिखाई देने वाली गतिविधियों पर चौबीस घंटे नजर रखी जाती है।
आग व लकड़ी चोरी की घटना हुई कैद
साल 2018 में केरवा टावर में लगे कैमरों से पता चला था कि जंगल में आग लगी है। इस पर वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई की थी। हालांकि तब तक 200 एकड़ से ज्यादा जंगल जल गया था, वन्यप्राणियों को भी नुकसान पहुंचा था। कुछ समय बाद लकड़ी चोरी की घटना भी कैद हुई थी। इन दोनों घटनाओं के पहले और बाद में आगजनी की और भी घटनाएं हुई, लेकिन टावर में लगे कैमरों ने उन्हें कैद नहीं किया।
ये वजह भी हो सकती है
शिकारियों को पता है कि टावर की लोकेशन व उनकी जद में आने वाले क्षेत्र का अंदाजा है, इसलिए वे कैमरों की जद से बाहर शिकार की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
इनका कहना है
टावर में बाघ समेत दूसरे वन्यप्राणियों का मूवमेंट कैद होता है पर शिकारी अभी तक कैद नहीं हुए हैं। पहाड़ी, घने जंगल इसकी वजह हो सकती है।
– एके सिंह, प्रभारी डीएफओ, भोपाल सामान्य वन मंडल