श्रावण माह में जरूर सुनना चाहिए ये दो प्रचलित पौराणिक कथाएं

सावन का महीना हिन्दू धर्म के लोगों के लिए ख़ास माना जाता है और इस महीने में भोलेनाथ का पूजन किया जाता है. वैसे सावन अर्थात श्रावण यह शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना. यानी सुनकर धर्म को समझना. वहीं अगर हम वेदों के बारे में बात करें तो वेदों को श्रुति कहा जाता है अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था. आप सभी को बता दें कि यह महीना भक्तिभाव और संत्संग के लिए उपयुक्त माना जाता है और श्रावण सोमवार या श्रावण माह के संबंध में पुराणों में बहुत कुछ मिलता है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं दो कथाएं.

1.पहली पौराणिक कथा:- भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव की इसी माह नियमित पूजन करके कांवड़ में गंगाजल भरकर वे शिव मंदिर ले गए थे और उन्होंने वह जल शिवलिंग पर अर्पित किया था. अर्थात कांवड़ की परंपरा चलाने वाले भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में की जाती है. भगवान परशुराम श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ में जल ले जाकर शिव की पूजा-अर्चना करते थे. शिव को श्रावण का सोमवार विशेष रूप से प्रिय है. श्रावण में भगवान आशुतोष का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से शीतलता मिलती है. कहते हैं कि भगवान परशुराम के कारण ही श्रावण मास में शिवजी का व्रत और पूजन प्रारंभ हुआ.

2. दूसरी पौराणिक कथा: – इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा, तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था. अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया. पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया जिसके बाद से ही महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया.

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