निफ्टी का वर्तमान PE दे रहा है तेजी के संकेत, जानें किन ऊंचाइयों तक जा सकता है मार्केट

निफ्टी पीई (Price-to-Earnings Ratio) 31.42 पर आ गया है, जिसे अगर पिछले ट्रेंड मार्केट के हिसाब देखें, तो बाजार क्रैश हो जाना चाहिए। मार्केट के क्रैश होने का डर ट्रेडर्स को लंबा जाने से रोकता है और निवेशक भी निवेश करने से डरते हैं। निफ्टी पीई का यह आंकड़ा बाजार में डर पैदा करने के लिए हर वाट्सएप ग्रुप में तेजी से प्रसारित हो रहा है। आइए जानते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है।

जब भी निफ्टी पीई 28 के पार गया है, तो बाजार में मंदी दिखी है। पिछली बार जब निफ्टी पीई 28.7 पर आया था, तब मंदी आई थी और हमने आपको 12,400 पर लॉन्ग एग्जिट करने का संकेत दिखा था। हम 10,000 से अधिक के स्तर पर थे और 12,400 का स्तर एक्जिट के लिए एक अच्छा स्तर था। हमें वायरस के प्रकोप के बारे में कोई अनुमान नहीं था और फिर निफ्टी गिरकर 7,500 तक आ गया।

फिर हमने बाजार को बारीकी से ट्रैक किया और हमने 7500 पर 10,500 तक के स्तर के लिए भारी निवेश का सुझाव दिया। इसके बाद हमने निफ्टी को 10,500 के ऊपर आते देखा है। हमें आरआईएल के स्टेक सेल्स का भी कोई अनुमान नहीं था, जिसके चलते बाजार में काफी तेजी आई और यह 11,300 के स्तर पर आ गया।

अब सवाल यह उठता है कि क्या किसी को 31.42 पीई पर निवेश करना चाहिए, जबकि तथ्य बताते हैं कि बाजार हमेशा 28 और 29 पीई के बीच ही क्रैश कर जाता है। इसलिए हमने पाठकों के सामने सही स्थिति रखने का फैसला किया है। आइए देखिए कि निफ्टी पीई अनुपात कौन कितना बता रहा है-

एनएसई (NSE):  31.42

ब्लूमबर्ग (Bloomberg):  26.93

सीएनआई रिसर्च (CNI Research):  21.54

हम इस अंतर के बारे में चर्चा करें, उससे पहले यह जान लें कि जब निफ्टी 12,400 पर क्रैश हुआ था, तब पीई 28.7 था। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही की कमाई अब शायद ही मायने रखती है। क्या वित्त वर्ष 2019- 20 की कमाई माइनस में थी, जो निफ्टी पीई 31.42 पर आ गई? यह बिल्कुल स्पष्ट है कि कोरोना वायरस का प्रकोप केवल वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही पर हुआ है, ना कि वित्त वर्ष 2019-20 पर। वित्त वर्ष 2019-20 की कमाई पॉजिटिव रही थी।

तब निफ्टी पीई 28.7 से बढ़कर 31.42 पर कैसे आ गई, जब निफ्टी 9.1 फीसद डाउन है? एनएसई निफ्टी 19 मार्च के आंकड़ों पर आधारित है और यह स्टैंडअलोन आधार पर है।  20 मार्च के आंकड़े इसमें शामिल नहीं हैं, इसलिए पीई अधिक दिखाई दे रही है।

ब्लूमबर्ग गणनाओं की ट्रैलिंग कर रहा है। जिसका मतलब है कि इसने 20 मार्च के आंकड़े शामिल किये हैं। हालांकि, स्टैंडअलोन के मामले में वे एनएसई का ही अनुसरण करते हैं। अब आप समझ गए होंगे कि ब्लूमबर्ग का पीई 26.93 क्यों है। वहीं, सीएआई रिसर्च ट्रैलिंग फॉलो कर रहा है और समेकित है। हमारा मानना है कि यह एक सही तरीका है। मौटे तौर पर स्टैंडअलोन और कंसोलिडेटेड में अंतर 25 फीसद है और इसलिए हमारा पीई 21.54 पर आता है।

इस आधार पर आप तय कर सकते हैं कि कौनसा सही पीई अनुपात है और आपको क्या करना चाहिए। वैसे यह आवश्यक नहीं है कि मंदी 21 पीई पर नहीं आ सकती। यह आ सकती है, अगर कोई सम्मोहक कारण हो या मार्केट ड्राइवर ऐसा तय करें। सामान्य तौर पर बाजार मांग और आपूर्ती पर चलता है और इसलिए अगर खरीदारी अधिक होगी तो तेजी आएगी और अगर बिकवाली अधिक होगी तो पीई अनुपात के बावजूद बाजार में आगे मंदी आएगी।

लिक्विडिटी भी एक अन्य कारक है, जो बाजार का ट्रेंड तय करता है। पहली तिमाही की कमाई दलाल स्ट्रीट की उम्मीदों से कई ज्यादा रही है, इस कारण निफ्टी 11,200-11,300 पर मजबूत बना हुआ है। रिलायंस भी एक अन्य कारक है, जो बाजार का ट्रेंड तय करता है। आरआईएल जब तक फंड राइजिंग को नहीं रोकेगा, तब तक बाजार नहीं गिरेगा। कम से कम बड़ी गिरावट तो नहीं आएगी। जियो में फंडिंग के बाद अब रिलायंस रिटेल में हिस्सेदारी बेचकर फंड जुटाने को तैयार खड़ा लगता है।

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