तपन मिश्रा ने कहा- इसके बाद मुझे लगातार दो साल इलाज कराना पड़ा इसीलिए किसी से इस बारे में बात नहीं की. मैं भाग्यशाली हूं क्योंकि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता. मैं जनवरी में रिटायर हो रहा हूं और चाहता हूं कि लोगों को इस बारे में पता चले ताकि अगर मैं मर जाऊं तो सबको पता हो कि मेरे साथ क्या-क्या हुआ था.
इसरो के साइंटिस्ट तपन मिश्रा ने एम्स की मेडिकल रिपोर्ट भी पोस्ट की है.
तपन मिश्रा ने फेसबुक पर लिखा है कि इसरो में हमें बड़े वैज्ञानिकों की संदिग्ध मौत की खबर मिलती रही है. साल 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई की मौत संदिग्ध थी. उसके बाद 1999 में VSSC के निदेशक डॉ. एस. श्रीनिवासन की मौत पर भी सवाल उठे थे. इतना ही नहीं 1994 में श्री नांबीनारायण का केस भी सबके सामने आया था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मैं इस रहस्य का हिस्सा बनूंगा.
तपन मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि 23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic Trioxide) दिया गया था. इसके बाद से वे पिछले दो साल से लगातार बुरी हालत में हैं. इंटरव्यू के बाद वो बड़ी मुश्किल से बेंगलुरु से अहमदाबाद वापस आए थे.
तपन मिश्रा ने अपने हाथ और पैरों की तस्वीर भी पोस्ट की है.
अहमदाबाद लौटने के बाद उनको एनल ब्लीडिंग हो रही थी. उनको अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. त्वचा निकल रही थी. हाथों और पैर की उंगलियों से नाखून उखड़ने लगे थे. न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे हापोक्सिया, हड्डियों में दर्द, सेंसेशन, एक बार हल्का दिल का दौरा, आर्सेनिक डिपोजिशन और शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों पर फंगल इंफेक्शन हो रहा था.
तपन मिश्रा ने अपना इलाज जायडस कैडिला अहमदाबाद, टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया. इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गया. तपन मिश्रा ने अपने दावे के सबूत के तौर पर जांच रिपोर्ट, एम्स का पर्चा और अपने हाथ-पैर के कुछ फोटो भी फेसबुक पर पोस्ट किए हैं.