जब चंचल पर चढ़ा स्टारडम का बुखार तो 2 महीने के लिए चली गई थी आवाज…

भजन सम्राट के रूप में जाने जाने वाले सिंगर नरेंद्र चंचल का निधन हो गया है. खबर है कि आज दोपहर को नरेंद्र चंचल ने अपने सर्वप्रिय विहार स्थित घर में आखिरी सांस ली. वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. नरेंद्र दुनिया को अलविदा तो जरूर कह गए हैं लेकिन उनके गाए भजन उनकी यादों को हमेशा जिन्दा रखेंगे. हम आपको बता रहे हैं उनसे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा.

नरेंद्र चंचल का जन्म पंजाब के अमृतसर की नमक मंडी में 16 अक्टूबर 1940 को हुआ था. वह धार्मिक पंजाबी परिवार से थे और धार्मिक वातावरण में पले बढ़े थे. उन्हें बचपन से ही भजन और आरती में दिलचस्पी थी और इसीलिए उन्होंने छोटी उम्र में जगरातों में गाना शुरू कर दिया था.

बताया जाता है कि नरेंद्र अपने स्कूल के दिनों में काफी शरारती थे और उनके स्वभाव में चंचलता थी, जिसकी वजह से उनके टीचर उन्हें चंचल कहकर बुलाते थे. बाद में नरेंद्र ने चंचल को अपने नाम का हिस्सा बना लिया था और उन्हें ‘नरेंद्र चंचल’ के नाम से जाना जाने लगा.

कई सालों तक स्ट्रगल करने के बाद वह बॉलीवुड की म्यूजिक इंडस्ट्री का हिस्सा बने थे. उन्होंने राज कपूर के निर्देशन में बनी ऋषि कपूर और डिंपल कपाडिया स्टारर फिल्म बॉबी में अपना पहला गाना गाया था. यह गाना था- बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो. इस गाने ने उन्हें बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिलवाया था. साथ ही उन्हें यूएस के जॉर्जिया स्टेट की सिटीजनशिप भी मिली हुई थी.

फिल्म बॉबी में सफलता मिलने के बाद स्टारडम नरेंद्र चंचल सिर चढ़कर बोलने लगा था. एक इंटरव्यू के दौरान नरेंद्र चंचल ने बताया था कि कैसे उन्होंने फिल्म में हिट होने के बाद जगरातों में गाना छोड़ दिया था. हालांकि इस बात की सजा भी उन्हें मिली. उन्होंने बताया, ”मैं काली मां के मंदिर में गया था और वहां मुझे गाने के लिए बोला गया लेकिन मैंने झूठ बोल दिया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है. घर आकर मुझे समझ आया कि मेरी आवाज ही नहीं निकला रही है.”

उन्होंने आगे कहा, ”मैं परेशान हो गया और कुछ समय बाद उसी मंदिर में गया. वहां लोगों ने मुझे पूछा कि तुम्हारी तो तबीयत ठीक नहीं थी. इसपर उन्होंने माफी मांगी. उस समय मंदिर में यज्ञ हो रहा है था और वहां पेड़े की बनी लस्सी मिलती थी, जिसे उन्होंने मुझे पीने के लिए दिया गया.” उन्होंने कहा कि इसके बाद नरेंद्र की आवज वापस आई और उन्होंने प्रण लिया कि वह कभी माता के भजन गाने से पीछे नहीं हटेंगे. 2 महीने तक आवाज बंद रहने की सजा केे बाद से अगर नरेंद्र चंचल बीमार भी होते थे तो सिर्फ जगराते का हिस्सा बनने और जय माता दी बोलने के लिए चले जाया करते थे.

वैसे फिल्म बॉबी के अलावा उन्होंने फिल्म बेनाम में मैं बेनाम हो गया, रोटी कपड़ा और मकान में बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई, फिल्म आशा में तूने मुझे बुलाया, फिल्म अवतार के लिए चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, काला सूरज फिल्म के लिए दो घुट पीला दे साकिया और फिल्म अनजाने के लिए हुए हैं वो हमसे कुछ ऐसे पराए, जैसे गानों और भजनों को गाया था.

जिस भजन ने नरेंद्र चंचल को रातों रात मशहूर बनाया था वो ‘चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है’. इस भजन को नरेंद्र ने आशा भोसले और महेंद्र कपूर के साथ गाया था. राजेश खन्ना और शबाना आजमी स्टारर फिल्म अवतार का ये गाना आज भी मशहूर है. नरेंद्र के गाने J M D – जय माता दी को पिछली बार वरुण धवन और आलिया भट्ट फिल्म बद्रिनाथ की दुल्हनिया में सुना गया था. उनका आखिरी भजन कोरोना वायरस को लेकर था, जिसका नाम कित्थों आया कोरोना था.

नरेंद्र ने Midnight Singer के नाम से अपनी ऑटोबायोग्राफी रिलीज की थी. इसमें उनकी जिंदगी, स्ट्रगल, मेहनत के किस्से और सफलता के बारे में बताया गया था. नरेंद्र चंचल माता कटरा वैष्णो देवी के मंदिर हर साल 29 दिसंबर को जाया करते थे और साल के आखिरी दिन वहां परफॉर्म करते थे.

Related Articles

Back to top button