बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति से बात करके सुनाई खरी-खोटी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यभार संभालने के बाद बुधवार को पहली बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की. बाइडेन ने चीनी राष्ट्रपति से पहली ही बातचीत में मानवाधिकार, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सख्त संदेश दे दिया.

बाइडेन, यूरोप और एशिया में तमाम सहयोगियों के साथ फोन पर बातचीत कर चुके हैं. बाइडेन ये भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वह सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति की हैसियत से नहीं बल्कि दुनिया की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की तरफ से चीन से निपटेंगे. बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज चैनल एनबीसी से कहा कि अमेरिका चीन की गलतियों को लेकर उसकी जवाबदेही तय करने में बाकी देशों का भी साथ चाहता है.

व्हाइट हाउस की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है, बाइडेन ने जिनपिंग से बातचीत में चीन की दादागिरी और उसकी गलत आर्थिक नीतियों को लेकर चिंता जताई है. इसके अलावा, बाइडेन ने मानवाधिकार का मुद्दा उठाया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त बनाए रखने की बात कही. दोनों नेताओं के बीच कोविड-19, जलवायु परिवर्तन और अन्य मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई.

बाइडेन ने ट्वीट किया, “मैंने आज राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की और उन्हें चीनी नववर्ष की शुभकामनाएं दीं. मैंने चीन की आर्थिक नीतियों, मानवाधिकार उल्लंघन और ताइवान में उसकी दादागिरी को लेकर चिंता भी जाहिर की. मैंने उन्हें (शी जिनपिंग) बता दिया है कि मैं चीन के साथ तभी काम करूंगा जब इससे अमेरिकी लोगों को फायदा होगा.”

वहीं, चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनिंग ने कहा कि सहयोग ही दोनों पक्षों के लिए सही विकल्प है. शी जिनपिंग ने कहा कि अमेरिका और चीन को कोविड महामारी, वैश्विक आर्थिक संकट और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करने की जरूरत है.

शी जिनपिंग ने कहा, चीन और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन बेहतर यही है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें, एक-दूसरे को बराबरी से देखें और सकारात्मक तरीके से विवादित मुद्दों का हल निकालें.

बाइडेन-शी जिनपिंग की ये बातचीत ठीक उसी दिन हुई है जब पेंटागन ने चीन को लेकर सुरक्षा रणनीति की समीक्षा शुरू कर दी है. बाइडेन और शी जिनपिंग एक-दूसरे को लंबे वक्त से जानते हैं और अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस जान-पहचान की वजह से नतीजे जल्द आने की संभावना है. बाइडेन पर रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स दोनों का दबाव है कि वह चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं. बाइडेन ने पिछले हफ्ते ही चीन को सबसे गंभीर प्रतिस्पर्धी करार दिया था.

बाइडेन का मानना है कि अमेरिका अपने सहयोगियों पर ध्यान देकर चीन के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में बढ़त हासिल कर सकता है. जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति चीन से अकेले ही निपटने की थी. यहां तक कि ट्रंप के कार्यकाल में व्यापार और सुरक्षा मुद्दों पर अमेरिका के कई सहयोगियों से भी तनाव बढ़ा. ट्रंप का कहना था कि सहयोगियों की वजह से अमेरिका चीन के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने के मामले में लाचार था.

हालांकि, बाइडेन कुछ मुद्दों पर ट्रंप की नीतियों पर कायम रहेंगे. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने भी कहा है कि चीन के खिलाफ ट्रंप की सख्त नीति सही थी. चीन के खिलाफ भारी-भरकम टैरिफ फिलहाल लागू हैं. बाइडेन की टीम व्यापार नीति पर सहयोगियों के साथ चर्चा करने के बाद ही इस संबंध में कोई फैसला करेगी.

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