ये हैं 18 हजार साल पुराना शंख, मानव की खोपड़ी जैसा हैं इसका आकार…

इस शंख का आकार मानव की खोपड़ी से भी बड़ा है. जब आर्कियोलॉजिस्ट ने इस शंख को ध्यान से देखा तो उन्हें लगा कि ये कोई आम समुद्री शंख नहीं है. इस शंख में एक खास तरह की कार्विंग है जो इसे बेहतरीन म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाता है. आर्कियोलॉजिस्ट ऐसा मानते हैं कि इस शंख का उपयोग इतने साल पहले खुशी या धार्मिक मौकों पर बजाकर किया जाता रहा होगा. 

सोरबोन यूनिवर्सिटी में लेबोरेटरी ऑफ मॉलीक्यूलर एंड स्ट्रक्चरल आर्कियोलॉजी के डायरेक्टर फिलिप वॉल्टर ने कहा कि 90 साल पहले जब यह 1931 में मिला था. तब इसे लविंग कप के तौर पर देखा गया था. इस बारे में एक स्टडी साइंस एडवांसेस नामक जर्नल में प्रकाशित भी हुई थी.

वॉल्टर कहते हैं कि पुराने समय में लोग खुशियों के मौकों पर लविंग कप का उपयोग करते थे. इसमें वो लोग ड्रिंक्स लेते थे. लेकिन यह शंख अलग है. इसमें बहुत कलाकारी दिखती है. जब हमने इसकी कायदे से जांच की तो पता चला कि ये आम शंख नहीं है. यह एक खास तरह का म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट है.

पाइरेनीस माउंटेंस की मार्सोउलास गुफा एक बहुत प्रसिद्ध आर्कियोलॉजिकल साइट है. दक्षिण-पश्चिम यूरोप में इतिहासकारों का घर हैं ये गुफा. यहां पर इतिहासकारों का जमावड़ा हमेशा रहता है. ऐसा माना जाता है कि 18 हजार साल पहले यहां पर पाइरेनीस मैगडेलेनियंस इन गुफाओं में रहा करते थे.

उनके जाने के बाद इन गुफाओं में उनकी कई कलाकृतियां, दीवारों पर पेंटिंग, वस्तुएं और शंख जैसी चीजें छूट गई. प्राचीन समय में इंसान बेहद आसान वाद्य यंत्र बनाते थे. जैसे चिड़ियों की हड्डियों से बांसुरी आदि. लेकिन शंख वाद्य यंत्र दुनिया का सबसे पुराना यंत्र हो सकता है.

फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च की शोधकर्ता कैरोल फ्रिट्ज कहती हैं कि हमारी जानकारी में यह अब तक का सबसे पुराना वाद्य यंत्र हो सकता है. 90 सालों से इसे सिर्फ संभाल कर रखा गया था. कभी बजाया नहीं गया, जब बजाया गया तो इसमें से बेहतरीन आवाज आई.

आर्कियोलॉजिस्ट का मानना है कि यह शंख थोड़ा बहुत टूट गया है, क्योंकि ये कई हजार साल से गुफा में पड़ा था. लेकिन इसका सबसे मजबूत निचला हिस्सा है. जो अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित है. जब फिलिप्स वॉल्टर ने इस शंख का सीटी स्कैन किया तो उन्हें इसके अंदर इंसानी कलाकारी दिखाई दी.

फिलिप्स बताते हैं कि इस शंख का टिप जानबूझकर काटा गया था. शंख के घुमावदार हिस्से में बेहद बारीकी से रास्ता बनाया गया. ऐसा माना जाता है कि ऐसे घुमावदार रास्ते बनाने के लिए  मैगडेलेनियंस कोई चिपकने वाला ऑर्गेनिक मटेरियल का उपयोग किया होगा. ये वैक्स या क्ले हो सकता है. लेकिन ये असल में क्या था, ये फिलिप्स की टीम पता नहीं कर पाई.

फिलिप्स बताते हैं कि इस शंख के कई हिस्सों में लाल रंग के पिगमेंट देखे गए हैं. यानी इन्हें लाल रंग की बिंदुओं से रंगा गया था. इसपर कई फिंगरप्रिंट जैसे निशान भी मिले हैं. इसके अंदर बड़े से बाइसन की पेंटिंग भी बनाई गई थी. जो अब मिट चुकी है लेकिन उसके चिन्ह बाकी है.

फिलिप्स ने बताया कि इस शंख को बजाने के लिए हमने एक प्रोफेशनल हॉर्न प्लेयर को बुलाया. क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं इसे बजाते समय इसे कोई नुकसान न पहुंचे. लेकिन जब इसे बजाया गया और इसमें से जो ध्वनि निकली वह लाजवाब थी. इसमें तीन नोट्स सुनाई दिए. सी, सी-शार्प और डी.

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