इस दिन श्रीराम ने खाए थे शबरी के बेर, राजा भोज मनाते थे अपना जन्मदिन
ऋतुराज बसंत के आगमन पर विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी का त्योहार उत्साह से मनाया जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती को वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन आपकी आराधना की जाएगी। इस पावन उत्सव से कई रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं आइए जानते हैं इनके बारे में।
बसंत पंचमी के दिन से ही होली के त्योहार की औपचारिक शुरुआत हो जाती है। बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है और यह परंपरा वीर हकीकत राय के बलिदान का स्मरण करने से जुड़ी हुई है। लाहौर में यह घटना हुई थी। माता शबरी के जुठे बेर प्रभु श्रीराम ने बसंत पंचमी के दिन ही खाए थे। बसंत पंचमी के दिन ही पृथ्वी राज चौहान ने शब्दभेदी बाण चलाकर मोहम्मद गौरी का वध किया था।
बसंत पंचमी के दिन ही राजा भोज के जन्मदिवस को भी मनाया जाता है। राजा भोज इस दिन आम जनता के लिए बहुत बड़े भोज का आयोजन कराते थे, जिसमे 40 दिनों तक पूरी प्रजा भोजन करती थी। बसंत पंचमी के दिन ही बच्चों की शिक्षा का आरंभ किया जाता है। इस दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं। इस त्योहार पर काले और लाल रंग के वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की पूजा न करें। यह भी मान्यता है कि इस दिन सांप को दूध पिलाने से परिवार में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। मां सरस्वती की पूजा में वाद्य यंत्र और किताबें रखें। बच्चों को भी पूजा में शामिल करें। बच्चों को पुस्तकें उपहार में दें। पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें। सफेद पुष्प, चंदन आदि से मां सरस्वती की पूजा करें। अगर बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा कर हल्दी को एक कपड़े में बांधकर बच्चे की भुजा में बांध दें। माता सरस्वती की उपासना से मन शांत होता है और वाणी में निखार आता है।