आज हैं जया एकादशी, इन नियमों का करें पालन पूरी हो जाएंगी मनोकामना
आज माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे जया एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी होती है और सभी का अलग-अलग महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी माना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है। वहीं सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है और भूत-प्रेत योनी में जन्म लेने से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस जया एकादशी की कथा, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम।
जया एकादशी व्रत कथा: हिंदू धार्मिक मान्यता के मुताबिक इंद्र की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था। लेकिन वह उस समय अपनी पत्नी को याद करने लगा। इस कारण वह ठीक से नहीं गा पा रहा था। इस पर इंद्र काफी नाराज हो गए। उन्होंने गंधर्व और उसकी पन्नी को पिशाच योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया। वह दोनों पिशाच योनी में जन्म लेकर कष्ठ भोग रहे थे। संयोगवश माघ शुक्ल एकादशी के दिन उन दोनों ने कुछ नहीं खाया और रात्री में ठंड के कारण सो नहीं सके। इस तरह अनजाने में उसने जया एकादशी व्रत हो गया। इस व्रत के प्रभाव से दोनों श्राप मुक्त हो गए। फिर अपने वास्तविक स्वरूप में लौटकर स्वर्ग पहुंचे। देवराज ने जब गंधर्व को वापस देखा तो वे हैरान हो गए। गंधर्व और उसकी पत्नी ने पूरी बात बताई। इस व्रत के पुण्य से उन्हें पिशाच योनी से मुक्ति मिली।
जया एकादशी शुभ मुहूर्त: एकादशी तिथि आरंभ 22 फरवरी शाम 5 बजकर 16 मिनट से शुरु होकर 23 फरवरी शाम 6 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। एकदाशी पारण का शुभ मुहूर्त 24 फरवरी सुबह 6 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 9 मिनट तक है। पारण की कुल अवधि 2 घंटे 17 मिनट है।
जया एकादशी पर न करें ये काम
– एकादशा के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ऐसे करने पर इंसान रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है।
– एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए।
– जया एकादशी के दिन चने या उसे बनी चीज और शहद नहीं खाना चाहिए।
– जया एकादशी के दिन सुबह जल्द उठ जाना चाहिए। वहीं किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए।
जया एकादशी के नियम: जया एकादशी के दिन सुबह जल्द उठकर स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। नारायण स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इन दिन किसी मंदिर में जाकर दान करना चाहिए।