इतने दशक बाद छूटा काशी के काल भैरव से कलेवर, संकट टलने का है संकेत

काशी के कोतवाल के रूप में जाने जाने वाले भगवान महादेव के रौद्र रूप काल भैरव को यूं ही बुरी नजर, संकट तथा समस्याओं से भक्तों को दूर रखने वाला भगवान नहीं कहा जाता है। काल भैरव के इस मंदिर में आज तकरीबन पांच दशकों पश्चात् एक दुर्लभ घटना तब हुई जब उनके विग्रह से कलेवर मतलब चोला संपूर्ण रूप से टूटकर अलग हो गया। हालांकि 14 सालों पूर्व भी यह घटना आंशिक तौर पर हुई थी। मान्यता के अनुसार, बाबा अपना कलेवर तब छोड़ते हैं जब किसी नुकसान को स्वयं पर झेलते हैं।

वाराणसी के भैरव नाथ क्षेत्र में स्थित काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के मंदिर से लेकर गंगा घाट पंचगंगा तक का क्षेत्र घंट-घड़ियाल तथा डमरू की आवाज से गूंज उठा। शोभा यात्रा की शक्ल में विभिन्न भक्त एवं मंदिर के पुजारी भारी भरकम बाबा काल भैरव के कलेवर को अपने कंधों पर उठाकर आगे बढ़ रहे थे तथा फिर पंचगंगा घाट पहुंचकर नाव पर बैठकर पूरे मान्यतानुसार कलेवर को गंगा में विसर्जित कर दिया।

दरअसल, यह कलेवर बाबा काल भैरव का था जो 14 सालों पूर्व आंशिक तौर पर तो 50 सालों पहले 1971 में पूर्ण रूप से बाबा के विग्रह से अलग हुआ था। विसर्जन के पश्चात् एक बार फिर बाबा को मोम एवं सिंदूर मिलाकर लगाया गया तथा पूरे पारंपरिक तरीके से की गई आरती के पश्चात् आम श्रद्धालुओं के लिए दरबार खोला गया। इस बारे में और खबर देते हुए काल भैरव मंदिर के व्यवस्थापक नवीन गिरी ने कहा कि 14 सालों पूर्व आंशिक तौर पर तो 50 सालों पहले 1971 पूर्ण रूप से बाबा काल भैरव ने अपना कलेवर छोड़ा था।

Related Articles

Back to top button