गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई को मुक़दमा चलाने के लिए अभियोजन की स्वीकृति

  • अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए सरकार ने दी मंज़ूरी
  • तत्कालीन अधिशासी अभियंता लखनऊ खण्ड शारदा नहर रूप सिंह यादव के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की मंजूरी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में तत्कालीन अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति उत्तर प्रदेश शासन ने दे दी है. बता दें रिवर फ्रंट के कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आई थीं. मामले की जांच सीबीआई कर रही है. अब शासन से अनुमति मिलने के बाद रूप सिंह यादव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलेगा.

दरअसल सीबीआर् ने मामले में जांच के बाद सिंचाई विभाग में लखनऊ खंड शारदा नहर के तत्कालीन अधिशासी अभियंता रूप सिंह सिंह यादव और अन्य कार्मिक को दोषी पाया और उनके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाए जाने के लिए अभियोजन की स्वीकृति के संबंध उत्तर प्रदेश शासन से मांग की थी. शासन ने अब अभियोजन की स्वीकृति दे दी है और इस संबंधम  आदेश की प्रति एसपी, प्रधान शाखा, सीबीआई, एसीबी, लखनऊ को भेज दिया है.

95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा

बता दें लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. 95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा. मामले में 2017 में योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे. आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था. पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई. जांच रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं. इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेज दिया. 

8 के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज
इस मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाना में 8 के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया. इसके बाद नवंबर 2017 में भी ईओडब्ल्यू ने भी जांच शुरू कर दी. दिसंबर 2017 मामले की जांच सीबीआई चली गई और सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच शुरू की. यही नहीं मामले में दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल जांच भी की गई. इसके बाद सीबीआई जांच का आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया.

ये है आरोप

गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़ें इंजीनियरों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशों से मंहगा समान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विेदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है. इस मामले में 8 इजीनियरों के खिलाफ पुलिस, सीबीआई और ईडी मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है. इनमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं. यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, जिन पर जांच चल रही है. 

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