ये पांच शाबर-मंत्र कर लीजिये सिद्ध, दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा

आप सभी ने ‘शाबर-मंत्र’ के बारे में पढ़ा या सूना होगा. यह मंत्र अनादि और अचूक हैं. ऐसे में कहा जाता है सभी मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शंकर ही हैं. लेकिन शाबर मंत्रों के प्रवर्तक भगवान शंकर प्रत्यक्षतया नहीं हैं बल्कि इन मंत्रों के प्रवर्तक शिव भक्त गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मत्स्येंद्र नाथ को माना जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं हनुमानजी के ऐसे शाबर मंत्र जिन्हें सिद्ध कर लिया जाए तो आपका दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

1. पहला साबर मंत्र : ।। ओम गुरुजी को आदेश गुरजी को प्रणाम, धरती माता धरती पिता, धरती धरे ना धीरबाजे श्रींगी बाजे तुरतुरि आया गोरखनाथमीन का पुत् मुंज का छड़ा लोहे का कड़ा हमारी पीठ पीछे यति हनुमंत खड़ा, शब्द सांचा पिंड काचास्फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।।

कहते हैं इस मंत्र को सात बार पढ़कर चाकू से अपने चारों तरफ रक्षा रेखा खींच लेन चाहिए जो गोलाकार हो. ऐसे में स्वयं हनुमानजी साधक की रक्षा करते हैं। ध्यान रहे मंत्र को सिद्ध करने के बाद विधि विधान से पढ़ा जाए, तभी लाभ होगा.

2. दूसरा मंत्र :
बिस्तर के आस-पास।
हवेली के आस-पास।
छप्पन सौ यादव।
लंका-सी कोट,
समुद्र-सी खाई।
राजा रामचंद्र की दुहाई।

3. साबर अढाईआ मंत्र :-
॥ ॐ नमो आदेश गुरु को, सोने का कड़ा,
तांबे का कड़ा हनुमान वन्गारेय सजे मोंढे आन खड़ा ॥

4. ॐ नमो बजर का कोठा,
जिस पर पिंड हमारा पेठा।
ईश्वर कुंजी ब्रह्म का ताला,
हमारे आठो आमो का जती हनुमंत रखवाला।

5. श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)
ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्‍डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ
नौ खंड का भू‍त, जाग जाग हड़मान (हनुमान)
हुंकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट
पिंड की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुंवर हड़मान (हनुमान) करें।

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