देहरादून में थोक की दुकानों पर जमघट, कोरोना गाइडलाइन का नही हुआ पालन

देहरादून, कोविड कर्फ्यू के चौथे चरण में पहले दिन मिली रियायत पर परचून की फुटकर दुकानों में ग्राहकों की संख्या सीमित दिखाई दी, लेकिन थोक प्रतिष्ठानों पर भीड़ उमड़ी। यहां सुबह आठ से लेकर दोपहर एक बजे तक मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। शारीरिक दूरी का पालन तो छोड़िए, कई व्यापारी बिना मास्क के भी नजर आए। आढ़त बाजार, हनुमान चौक, दर्शनी गेट व झंडा बाजार क्षेत्र में बुरा हाल रहा।

कोरोना संक्रमण दून में कम हो रहा है, लेकिन थोक बाजारों की भीड़ सरकारी तंत्र की चिंता बढ़ा रही है। सरकार की ओर से जारी एसओपी में परचून की दुकानें कोविड कर्फ्यू के बीच पहली व पांच जून को सुबह आठ से दोपहर एक बजे खुली रहेंगी। इसे देखते हुए मंगलवार को आम लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए बाजार पहुंचे। डिस्पेंसरी रोड, तहसील चौक, सरनीमल बाजार, कारगी चौक, बंजारावाला, धर्मपुर, प्रेमनगर आदि क्षेत्रों में परचून की दुकानों में खरीदारी करते आमजन ने शारीरिक दूरी के नियम का पालन किया। केवल आढ़त बाजार व हनुमान चौक में लोडर, कारों व दुपहिया वाहनों के कारण पैदल चलने वाले राहगीरों की भीड़ जमा होने से कुछ देर जाम भी लगा रहा। हालांकि पुलिस की मुस्तैदी से यातायात कुछ देर बार सामान्य हो गया।

स्टेशनरी की दुकानों में कम ही दिखे ग्राहक

करीब 35 दिन बाद मंगलवार को खुली स्टेशनरी की दुकानों में पहले दिन ही ग्राहक कम ही दिखे। स्टेशनरी से जुड़े व्यापारियों का मानना है कि लगभग सभी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को प्रोन्नत कर दिया गया है। ऐसे में ज्यादातर छात्रों व उनके अभिभावकों ने आपस में किताबों का आदान-प्रदान कर लिया। क्योंकि पिछले साल भी कक्षाएं नहीं चली, जिससे अधिकतर बच्चों की बुक नई व बेहतर स्थिति में थी। कापियां व अन्य लेखन सामग्री छोटी कक्षाओं के बच्चों ने 20-22 अप्रैल से पहले ही खरीद ली थीं।

यही कारण है कि अब स्टेशनरी की दुकानों में ग्राहक कम आ रहे हैं। डिस्पेंसरी रोड स्थित नेशनल बुक डिपो के मालिक पंकज जैन ने कहा कि कोविड-19 के कारण एल-केजी से लेकर 12वीं कक्षा तक की सालभर कक्षाएं तो चली नहीं, ऑनलाइन पढ़ाई हुई, जिससे स्टेशनरी का सामान पिछले वर्ष भी केवल 50 फीसद की बिका। इस साल अभी तक कोरोना के कारण स्थिति खराब है। ऐसे में किताब-कापियां सामान्य दिनों की तरह बिकने की उम्मीद नहीं है। दर्शनलाल चौक स्थित अग्रवाल स्टेशनरी के मालिक प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि ज्यादातर बच्चों ने बुकें एक्सचेंज कर लीं। कुछ ग्राहक केवल कापियां खरीदने ही आ रहे हैं। अन्य दिनों के मुकाबले अभी तक मात्र 30 से 35 फीसद कापी-किताबों की खरीदारी हुई है।

प्रशासन की टीम के साथ बहस

परचून की दुकानों की जांच के लिए एसडीएम सदर गोपालराम बिनवाल ने मय टीम आढ़त बाजार, हनुमान चौक, दर्शिनी गेट, झंडा बाजार आदि क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने व्यापारियों से कहा कि वह दुकान के बाहर रेट लिस्ट लगाएं और अनावश्यक भीड़ एकत्र ना होने दें। इसी दौरान हनुमान चौक पर एक थोक व्यापारी ने प्रशासन की टीम के साथ बहस शुरू कर दी। कहा कि हफ्तेभर बाद दुकानें खुल रही हैं ऐसे में वे ग्राहकों को राशन दें या फिर रेट लिस्ट तैयार करें। इस पर एसडीएम सदर ने कड़ी चेतावनी देते हुए रेट लिस्ट हर हाल में लगाने के निर्देश दिये।

भुखमरी की कगार पर पहुंचे छोटे व्यापारी

दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ ने कहा कि कोरोना संकट के चलते छोटे व्यापारी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। संक्रमितों की संख्या कम होने पर मुख्यमंत्री से बाजार को कुछ समय के लिए खुलवाने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार ने व्यापारियों को गंभीरता से नहीं लिया। मंगलवार को डिस्पेंसरी रोड स्थित कपूर टावर में व्यापारियों ने बैठक की। जिसमें महानगर व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील कुमार बांगा ने प्रशासन से जूते, कपड़े, घड़ी, मोबाइल, पंखे व कूलर, कॉस्मेटिक आदि की दुकानों को सीमित समय के लिए खोलने का आग्रह किया। कहा कि प्रशासन ने व्यापारियों को दो हिस्सों में बांट दिया है, आवश्यक वस्तु वालों को ही परिवार का भरण-पोषण करने की छूट है। जिलाधिकारी से आग्रह किया कि सभी व्यापारियों को दुकान खोलने के आदेश जारी किया जाए।

पंकज मैसोन (अध्यक्ष दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल) का कहना है कि एक सप्ताह के भीतर दो दिन परचून की दुकानें खोलने के निर्णय के बाद मंगलवार को अन्य दिनों के मुकाबले दुकानों में ग्राहकों की भीड़ कम दिखी। छोटे दुकानदार थोक विक्रेताओं से इसी दिन सामान खरीदते हैं। इसलिए राशन की थोक मंडियों में अन्य दुकानों की तुलना में अधिक भीड़ रही।

सुनील कुमार बांगा (अध्यक्ष दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ) का कहना है कि प्रशासन को चाहिए था कि वह थोक दुकानों को खोलने का समय अलग से रखता। एक ही दिन आम आग्रह जो घर में खाने-पीने का सामान खरीदता है। उसी समय छोटे दुकानदार भी थोक दुकानों से खाद्य सामग्री भरवाते हैं। यही कारण है कि परचून की दुकानों में एक ही दिन भीड़ उमड़ती है।

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