यूपी: धर्मातरण में जेल गए आरिफ पर लगा AC-ST एक्ट, दर्ज हो सकते हैं और भी मुकदमे

बड़े घराने की महिला के धर्मांतरण, दुराचार, लूट और जानलेवा हमले में जेल गए आरिफ हाशमी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने मुकदमे में एससी/एसटी ऐक्ट की धारा बढ़ा दी है। मुकदमे की विवेचना सीओ सदर राजीव कुमार करेंगे। एससी/एसटी ऐक्ट की विवेचना डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी ही कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ आरिफ के खिलाफ और भी मुकदमे दर्ज हो सकते हैं। इसके लिए पुलिस ने साक्ष्य जुटाना शुरू कर दिया है।

सदर थाने में पूर्व आईएएस अधिकारी की बेटी ने मुकदमा दर्ज कराया था। ताल कटोरा में राजाजी पुरम लखनऊ निवासी आरिफ हाशमी ने उन्हें अपने जाल में फंसाया था। शुरूआत में अपनी पहचान तक उनसे छिपाई थी। अपना नाम भी आदित्य आर्य बताया था। पिछले दस साल से वह उनका उत्पीड़न कर रहा था। हत्या का भय दिखाकर उनसे वसूली किया करता था। उन्हें जानवरों की तरह पीटा करता था। उनका मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण कर रहा था। बहुत हिम्मत जुटाकर पीड़िता ने उसके खिलाफ जुबान खोली थी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। आरिफ हाशमी जेल में है। पीड़िता ने कोर्ट में दिए अपने बयानों में एफआईआर का समर्थन किया था। पीड़िता अनुसूचित जाति की हैं। इसलिए मुकदमे में एससी-एसटी ऐक्ट की धारा भी बढ़ाई गई है। पीड़िता के साथ पूर्व में कई बार मारपीट हुई थी। इसके साक्ष्य पीड़िता ने पुलिस को मुहैया कराए हैं। एक बार आरोपित ने पीड़िता के बाल खींचकर उखाड़ दिए थे। उसका भी फोटोग्राफ पीड़िता के पास है। आरोपित अय्याश है। यह साबित करने के लिए भी पुलिस के पास के कई फोटोग्राफ और वीडियो हैं। एक फोटो में तो आरोपित एक नहीं दो युवतियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में है।

दर्ज हो सकते हैं और भी मुकदमे
पुलिस को आरोपित आरिफ के मोबाइल में एक लैटर मिला था। लैटर में सपा सरकार में उसे कोई पद दिया गया था। इससे संबंधित था। पुलिस यह पता लगा रही है कि लैटर असली है या फर्जी। उसके प्रमाण मिलने पर आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा के तहत एक और मुकदमा दर्ज हो सकता है। इंस्पेक्टर सदर अजय कौशल ने बताया कि आरोपित का मोबाइल फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा। आशंका है कि आरोपित ने मोबाइल से डाटा डिलीट किया है। उसे रिकवर कराया जाएगा। शायद ऐसे और भी लैटर मिल जाएं।

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