ICC ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में किए ये बदलाव, जानें किस तरह तैयार होगी प्वाइंट्स टेबल
नई दिल्ली, इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आइसीसी ने इस बात की जानकारी पहले ही दे दी थी कि भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाली पांच मैचों की टेस्ट सीरीज आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अगली साइकिल के तहत खेली जाएगी। अब आइसीसी ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है कि आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के दूसरे सत्र में अंक प्रणाली कैसी होगी, क्योंकि पहले सीजन के प्वाइंट्स सिस्टम पर सवाल उठे थे।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के दूसरे संस्करण के साथ-साथ द्विपक्षीय सीरीज के लिए अंक प्रणाली की पुष्टि की है जो अगले महीने शुरू होने वाले 2021-23 चक्र का हिस्सा होगी। आगामी डब्ल्यूटीसी के प्रत्येक मैच में अब समान अंकों के लिए मुकाबला होगा। एक टेस्ट मैच जीतने पर 12 अंक, एक ड्रॉ मैच के लिए चार अंक और एक टाई के लिए 6-6 अंक दोनों टीमों को दिए जाएंगे।
WTC के 2019-21 के सत्र में अंक प्रणाली प्रत्येक सीरीज के लिए समान अंकों वाली थी। कोई भी सीरीज चाहे 2 मैचों की हो या फिर पांच मैचों की, सभी सीरीजों में 120 अंक निर्धारित किए गए थे, लेकिन बीच सत्र में कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे बदल दिया गया और आइसीसी ने जीत प्रतिशत के हिसाब से अंकतालिका तैयार की। इसी के आधार पर भारत और न्यूजीलैंड के बीच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला गया था, जिसे कीवी टीम ने जीता
ICC के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्योफ एलार्डिस ने कहा कि पिछले साल व्यवधान से सीखते हुए अंक प्रणाली को सरल बनाने के लिए बदलाव किए गए थे। उनका कहना है, “हमें फीडबैक मिला कि पिछली अंक प्रणाली को सरल बनाने की जरूरत है। प्रत्येक मैच के लिए एक नई, मानकीकृत अंक प्रणाली का प्रस्ताव करते समय क्रिकेट समिति ने इसे ध्यान में रखा। इसने यह सुनिश्चित करने के सिद्धांत को बनाए रखा कि डब्ल्यूटीसी सीरीज में सभी मैच एक टीम की स्थिति में गिने जाते हैं, जबकि दो टेस्ट और पांच टेस्ट के बीच की लंबाई में अलग-अलग सीरीज को समायोजित करते हैं।”
उन्होंने आगे बताया, “महामारी के दौरान हमें प्रत्येक टीम द्वारा जीते गए उपलब्ध अंकों के प्रतिशत का उपयोग करके अंक तालिका पर रैंकिंग टीमों में बदलना पड़ा, क्योंकि सभी सीरीज पूरी नहीं हो सकीं। इससे हमें फाइनलिस्ट का निर्धारण करने में मदद मिली और हम निर्धारित समय सीमा के भीतर चैंपियनशिप को पूरा करने में सक्षम थे। इस पद्धति ने हमें किसी भी समय टीमों के सापेक्ष प्रदर्शन की तुलना करने की अनुमति दी, भले ही उन्होंने कितने मैच खेले हों।”