जुझारू – संघर्षशील साथियों का सपा ने तोड़ा हौसला, पार्टी हित में नहीं है यह काम : देवेंद्र प्रताप सिंह

समाजवादी पार्टी के एक जमीनी और जुझारू सिपाही के रूप में हमने और हमारे जैसे नवजवानों ने हमेशा पार्टी की बेहतरी सोची है और श्री अखिलेश यादव जी को मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए दिन रात एक किया है।
राजनीति में रुचि रखने के समय से लेकर आज तक हमेशा तमाम राजनैतिक मोर्चों पर लड़ाइयां लड़ते हुए पार्टी के जनाधार को लगातार बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहा हूँ।



व्यक्तिगत रूप से इसके बदले सिर्फ यही उम्मीद रखी कि पार्टी हमारी मेहनत और निष्ठा पर नजर रखे व यथोचित सम्मान मिले,परन्तु बड़े भारी व दुखी मन से यह कहना पड़ रहा है कि पार्टी की तरफ से कल जो फ्रंटल पदाधिकारियों की लिस्ट जारी हुई है वह पार्टी संगठन को कमजोर करने वाली और जमीनी तथा जुझारू-संघर्षशील साथियों के हौसले को तोड़ने वाली है। यह कहीं से भी पार्टी हित में नहीं है।

यह बात मैं स्वयं की किसी पद को लेकर इच्छा के संदर्भ में नहीं कह रहा हूँ,बल्कि पार्टी हित के नजरिये से कहना पड़ रहा है। हमारे जैसे लोग जो लगातार पार्टी हित में जनाधार को बढ़ाने के लिए गाँव-गिराव की खाक छानते फिरते हैं,सत्ताधारियों से लड़ाई लड़ते रहते हैं,उनकी अनदेखी कर लखनऊ में गणेश-परिक्रमा करने वाले लोगों के जेब के आदमियों को रेवड़ी की तरह पद बाँट दिए गए हैं,यह पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित करता है।

लखनऊ के पार्टी कार्यालय में बैठे बैठे वहीं,सारे जमीनी बातों और वरिष्ठों की संस्तुतियों को दरकिनार कर,उन लोगों को लिस्ट में जगह दे दी गयी है जिनका पार्टी से नाता-वास्ता सिर्फ उन्हीं मठाधीश महोदय तक ही सीमित है। जनपद में उनके आगे पीछे घूमने के अलावा ना वो कभी किसी संघर्ष में सड़क पर दिखते हैं और ना ही आम लोगों के दुख तकलीफ में खड़े होकर वो पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए कभी प्रयास करते दिखते हैं।
क्या लखनऊ पार्टी कार्यालय में बैठे एक महानुभाव के तिकड़म से पार्टी के संगठन चलेंगे?
क्या पार्टी में अन्य वरिष्ठ नेताओं का कोई मतलब नहीं?
फ्रंटल संगठनों के अध्यक्ष महोदय आखिर किस मानक पर लिस्ट फाइनल कर रहे हैं?
यदि लखनऊ बैठे बैठे वहीं गणेश परिक्रमा करने वाले जेब के लोगों को जगह दी जाएगी तो मेहनती और जुझारू कार्यकर्ताओं का क्या सम्मान पार्टी में रखा जाएगा?
यहां तक कि इटवा विधानसभ में फ्रंटल संगठन का एक भी पद नहीं आ पाया है। यह विचारणीय है।
आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को ध्यान देना होगा कि उन्हीं के नाक के नीचे बैठकर कौन लोग,पार्टी कार्यालय में बैठे बैठे पार्टी को खोखला बनाने का कुचक्र रच रहे हैं।
2022 की लड़ाई खोखले,कागजी और तिकडमी लोगों के दम पर तो नहीं लड़ा जा सकता।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो जमीनी और संघर्षशील साथी भी मेहनत करने के बजाय लखनऊ-परिक्रमा और किसी की जेब का आदमी बनकर रहने में ही सुविधा महसूस करेंगे,जिसका अंतिम नुकसान पार्टी को होगा।

पार्टी के सभी सम्मानित जिम्मेदारों से आग्रह है कि उपरोक्त तथ्यों और 2022 की कठिन लड़ाई को देखते हुए पार्टी को खोखला करने वाले और पार्टी को धोखा देने वाले लोगों को चिन्हित कर उनका समय से इलाज करें नहीं तो नुकसान हम सभी को उठाना पड़ेगा।

देवेन्द्र प्रताप सिंह,सपा कार्यकर्ता -305 इटवा,जनपद- सिद्धार्थनगर उ०प्र०!

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