कब्ज को दूर करने के लिए योग है सुरक्षित तरीका

कब्ज एक आम समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इससे पीड़ित लोग कई बार बिना डॉक्टरी परामर्श के विभिन्न प्रकार की दवाइयों का सेवन कर लेते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। ऐसे में कब्ज को दूर करने के लिए योग सुरक्षित तरीका हो सकता है। योग के जरिए कब्ज से राहत पाई जा सकती है। हालांकि, योग के साथ ही संतुलित खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। वहीं अगर कब्ज की समस्या गंभीर है तो डॉक्टरी इलाज अतिआवश्यक है।

एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, कब्ज की समस्या इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के अंतर्गत आती है। इसमें व्यक्ति का मल कठोर हो जाता है और मलत्याग करने में परेशानी होती है। यहां योग की अहम भूमिका देखी जा सकती है, क्योंकि यह इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के जोखिम को कम करने का काम कर सकता है। इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम का सबसे आम कारण चिंता, थकान और तनाव को माना गया है। वहीं योग इन सभी कारणों को दूर करके इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के उपचार में मदद कर सकता है। साथ ही योग ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करके मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बना सकता है

कब्ज दूर करने के लिए योग

पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन योग के जरिए कब्ज की समस्या में आराम पाया जा सकता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कब्ज की समस्या का एक आम कारण स्ट्रेस भी होता है। वहीं पवनमुक्तासन को करने से स्ट्रेस की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह मलत्याग की प्रक्रिया को सुधार कर कब्ज की समस्या में सीधे तौर पर प्रभावी साबित हो सकता है

सुप्त बद्धकोणासन

कब्ज के लिए योग में इस आसन का भी लाभ मिल सकता है। एनसीबीआई के अनुसार, सुप्त बद्धकोणासन योग करने से यह इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम को ठीक करने में मदद मिल सकती है। इस कारण यह योगासन कब्ज की समस्या पर भी लाभदायक असर दिखा सकता है

हलासन
कब्ज को दूर करने में हलासन के फायदे भी देखे जा सकते हैं। पेट और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को लेकर किए गए एक वैज्ञानिक रिसर्च में कई योगासन के साथ हलासन को भी शामिल किया गया। इस शोध में देखा गया कि यह आसन पाचन तंत्र, पाचन संबंधी विकार, कब्ज और अपच पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। साथ ही यह मल त्याग की प्रक्रिया को आसान कर सकता है, जिससे कब्ज से राहत मिल सकती है

अर्धमत्स्येंद्रासन
अर्धमत्स्येंद्रासन के जरिए भी कब्ज के उपचार में मदद मिल सकती है। दरअसल, अर्धमत्स्येंद्रासन योग पाचक रच बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने का काम कर सकता है, जिससे पाचन स्वास्थ्य को सुधरने में मदद मिल सकती है। इस कारण इसे सीधे तौर पर कब्ज की समस्या में भी सहायक माना गया है

मयूरासन
मयूर’, शब्द को संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है मोर। इसे अंग्रेजी में पीकॉक के नाम से जाना जाता है। यह योगासन कुछ मोर की शारीरिक संरचना जैसा ही होता है। मयूरासन योग में पूरे शरीर का वजन हाथों पर केंद्रित होता है। यह आसन पेट के अंगों की क्रिया को प्रभावित करता है, जिससे पेट से जुड़ी कई समस्याओं के उपचार में मदद मिलती है। इस बात को योग से संबंधित एक शोध में भी माना गया है

बालासन
बालासन को चाइल्ड पोज के नाम से भी जाना जाता है। पेट से जुड़ी हुई कुछ समस्याओं के लिए कई योग प्रक्रिया को अपनाकर एक वैज्ञानिक अध्ययन किया गया। इसमें बालासन भी शामिल किया गया था। इस अध्ययन में माना गया कि यह योगासन पाचन तंत्र से जुड़े अंगों में मसाज और उन्हें स्ट्रेच करने का काम कर सकता है। साथ ही यह पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे:- पेट दर्द, गैस और अपच के साथ-साथ कब्ज को भी दूर करने में मदद कर सकता है

सुप्त मत्स्येन्द्रासन
कब्ज के लिए योग में सुप्त मत्स्येन्द्रासन के जरिए भी आराम मिल सकता है। लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि कब्ज का एक कारण चिंता और तनाव भी हो सकता है वहीं एक रिसर्च में पाया गया कि सुप्त मत्स्येन्द्रासन चिंता और तनाव की स्थिति को कम करने में फायदेमंद हो सकता है इस आधार पर यह माना जा सकता है कि इस आसान का अभ्यास करने से कब्ज की समस्या में कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है। फिर भी इस आसन को करने से पहले डॉक्टर और योग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर कर लें।

यहां बताए गए सभी योगासनों को अच्छे योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें। योग को गलत तरीके से करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
वैसे तो कब्ज की समस्या का इलाज कई प्रकार की दवाओं के माध्यम से किया जा सकता है, लेकिन उनके साइड इफेक्ट का डर भी रहता है। इसलिए कब्ज के लिए योग एक देसी इलाज के रूप में फायदेमंद हो सकता है।

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