उत्तराखंड में नजर आने लगा बिजली संकट का असर, औद्योगिक क्षेत्रों में भी बिजली कटौती
देहरादून, देश में बिजली संकट का असर उत्तराखंड में भी नजर आने लगा है। हालांकि, अभी प्रदेश में स्थिति विकट नहीं हुई है, लेकिन देश में बनी स्थिति से आने वाले दिनों में जरूर उत्तराखंड प्रभावित हो सकता है। खासकर उद्योगों की दिक्कत बढ़ सकती है। बुधवार को भी प्रदेश में मांग के सापेक्ष करीब 30 लाख यूनिट बिजली कम रही। जिसके चलते औद्योगिक क्षेत्रों में करीब डेढ़ घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में दो घंटे बिजली कटौती की गई। ऊर्जा निगम का दावा है कि केंद्रीय पूल और अन्य निजी कंपनियों से लगातार बिजली खरीद के प्रयास किए जा रहे हैं, उम्मीद है जल्द हालात सामान्य हो जाएंगे।
ऊर्जा निगम के तमाम प्रयासों के बावजूद बिजली की मांग और उपलब्धता के बीच बना अंतर नहीं भर पा रहा है। केंद्रीय पूल में बिजली की दर 15 रुपये प्रति यूनिट से अधिक होने के कारण पर्याप्त बिजली नहीं खरीदी जा रही है। जबकि, निजी कंपनियां भी अनुबंध के सापेक्ष बिजली नहीं दे रही हैं। ऐसे में मांग को पूरा करना ऊर्जा निगम के लिए चुनौती बना हुआ है। उपलब्धता कम होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना कटौती की जा रही है। जबकि, बुधवार को देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों पर भी बिजली कटौती की मार पड़ी। इन क्षेत्रों में दिनभर में करीब डेढ़ घंटा बत्ती गुल रही।
ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता (परिचालन) गौरव शर्मा ने बताया कि राज्य के अधीन जल विद्युत व अन्य स्रोतों से प्राप्त बिजली के अतिरिक्त निजी कंपनियों व केंद्रीय पूल से बिजली खरीदी जा रही है। मांग और उपलब्धता के अंतर को पाटने का प्रयास किया जा रहा है।
7.38 रुपये की दर से खरीदी 20 लाख यूनिट
बुधवार को ऊर्जा निगम ने केंद्रीय पूल से 7.38 रुपये प्रति यूनिट की दर से 20 लाख यूनिट बिजली खरीदी। जिससे आपूर्ति में कुछ राहत मिली। हालांकि, निजी कंपनियों से पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। जिंदल पावर प्लांट से 24 लाख यूनिट व टाटा पावर से 18 लाख यूनिट का अनुबंध किया गया है, मगर अनुबंध के सापेक्ष बुधवार को बिजली नहीं मिल सकी। जिंदल पावर प्लांट से महज 16 लाख यूनिट बिजली मिली है, जबकि टाटा पावर से महज आठ लाख यूनिट बिजली ही मिली।
यह रही प्रदेश की स्थिति
- कुल मांग: 40.4 मिलियन यूनिट
- कुल उपलब्धता: 37.4 मिलियन यूनिट
- कमी: 3.0 मिलियन यूनिट
- केंद्रीय पूल से खरीद: 2.7 मिलियन यूनिट
- निजी कंपनियों से प्राप्त: 2.4 मिलियन यूनिट