पीएम मोदी की हुंकार रैली में हुए धमाकों पर NIA कोर्ट आज सुना सकता है फैसला
नई दिल्ली: तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की “हुंकार” रैली के स्थल पर 2013 में गांधी मैदान सीरियल धमाकों को लेकर पटना में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने की संभावना है।
27 अक्टूबर, 2013 को बिहार की राजधानी में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में छह लोग मारे गए और 90 से अधिक घायल हो गए थे। हालांकि, मोदी ने भीड़ को शांत करने और भरे गांधी मैदान में भगदड़ को रोकने के लिए रैली को आगे बढ़ाया।
इस मामले में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के नौ संदिग्धों और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक संदिग्ध को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों की पहचान नुमान अंसारी, हैदर अली उर्फ “ब्लैक ब्यूटी”, मोहम्मद मुजीबुल्लाह अंसारी, उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, अहमद हुसैन, फकरुद्दीन, मोहम्मद इफ्तेखार आलम और एक नाबालिग के रूप में हुई।
नाबालिग आरोपी को 12 अक्टूबर, 2017 को किशोर न्याय बोर्ड ने कई विस्फोटों में शामिल होने का दोषी पाए जाने के बाद तीन साल की सजा सुनाई थी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर आरोपी रांची के सिथियो के रहने वाले हैं।
एक अन्य आरोपी तारिक अंसारी की पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर एक सार्वजनिक शौचालय के अंदर बम लगाने की कोशिश के दौरान मौत हो गई। मौके से दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी फिलहाल पटना के उच्च सुरक्षा वाले बेउर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन पर साजिश रचने, बम लगाने और विस्फोट करने, हत्या करने और सांप्रदायिक नफरत फैलाने सहित विभिन्न आरोप लगाए गए।
एनआईए ने 6 नवंबर, 2013 को इस मामले को अपने हाथ में लिया और घटना की जांच के बाद 21 अगस्त 2014 को 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में, एनआईए ने कहा कि आरोपियों ने पटना विस्फोटों की योजना बनाई थी, क्योंकि वे नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में पिछली रैलियों में मोदी के करीब आने में विफल रहे थे।
एनआईए कोर्ट के लोक अभियोजक मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मामले की अंतिम सुनवाई जून 2018 में शुरू हुई थी। एनआईए की विशेष अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाहों और आरोपियों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं।
अधिकारी ने कहा कि अभियोजन पक्ष के कुल 250 गवाह जिरह के लिए निचली अदालत के समक्ष पेश हुए। गांधी मैदान और उसके आसपास कुल 17 आईईडी, मिले जिनमें से सात में विस्फोट हो गया था। 2013 के बोधगया सीरियल बम धमाकों के मामले में पांच आरोपी पहले ही दोषी करार दिए जा चुके हैं।
हैदर और मुजीबुल्लाह बोधगया बम विस्फोटों के मास्टरमाइंड थे, जिन्हें म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कथित अत्याचारों का बदला लेने के लिए किया गया था।