गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है निमोनिया, जानिए इसके लक्षण

कोरोना के इस दौर में लोगों को तमाम तरह की श्वसन संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ा। कई संक्रमितों में निमोनिया की समस्या भी देखी गई, जिसके कारण कोविड-19 के गंभीर रूप लेने का खतरा बढ़ जाता है। दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों की मौत इस श्वसन संक्रमण के कारण हो जाती है। साल 2019 में 6,72,000 बच्चों सहित करीब 2.5 मिलियन (25 लाख) लोगों की निमोनिया के कारण मौत हो गई। कोविड के इस दौर में निमोनिया के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। दुनियाभर में लोगों को निमोनिया के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 12 नवंबर को ‘वर्ल्ड निमोनिया डे’ मनाया जाता है।

निमोनिया, वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाला श्वसन संक्रमण है, जिसके कारण एक या दोनों फेफड़ों के एयरसैक्स में सूजन आ जाती है। हवा की थैली तरल पदार्थ से भर जाती है, जिससे कफ या मवाद के साथ खांसी आने, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में कठिनाई की समस्या हो सकती है। आइए आगे की स्लाइडों में निमोनिया के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

निमोनिया के क्या लक्षण होते हैं?
अमर उजाला से बातचीत में फेफड़ों से संबंधित रोगों के विशेषज्ञ डॉ मनीष सक्सेना बताते हैं, संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु के प्रकार, रोगी की आयु और उसके ओवरऑल हेल्थ के आधार पर निमोनिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। इसके हल्के लक्षण आमतौर पर सर्दी या फ्लू जैसे ही होते हैं, हालांकि इसकी अवधि लंबी होती है। इसके अलावा निमोनिया के बढ़ने की स्थिति में लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जिसके बारे में लोगों को विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है।
सांस लेने या खांसने पर सीने में दर्द
कफ के साथ खांसी की समस्या।
थकान, बुखार और कंपकंपी।
सांस लेने में तकलीफ।
सांस से घरघराहट की आवाज आना।

किन्हें होता है ज्यादा खतरा?
डॉ मनीष बताते हैं वैसे तो निमोनिया की समस्या किसी को भी हो सकती है, हालांकि बच्चों और बुजुर्गों में इसे ज्यादा आम देखा गया है। यदि आपको अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) या हृदय रोग है तो भी आपको निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है। धूम्रपान करने वालों और जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, ऐसे लोगों में भी निमोनिया का खतरा होता है। 

निमोनिया का इलाज कैसे होता है?
निमोनिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले लक्षणों के आधार पर जांच कराने की सलाह देते हैं। इसके लिए खून की जांच, सीरम टेस्ट या फिर छाती का एक्स-रे कराया जाता है। निमोनिया का पता चलने पर संक्रमण को ठीक करने और जटिलताओं को कम करने के लिए उपचार दिया जाता है। इलाज के लिए आवश्यकतानुसार एंटीबायोटिक्स दवाएं, भाप और खांसी की दवाएं दी जा सकती हैं। अधिकांश लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों में कम हो जाते हैं जबकि थकान की समस्या एक महीने या उससे अधिक समय तक बनी रह सकती है।

निमोनिया से बचाव कैसे किया जाए?
डॉ मनीष बताते हैं, बचाव के उपायों को प्रयोग में लाकर निमोनिया के खतरे से बचा जा सकता है, इसके लिए बच्चों का टीकाकरण अवश्य कराएं। इसके अलावा आहार में उन चीजों को शामिल करिए जो इम्यूनिटी को मजबूत करती हों। साफ-सफाई का खास ध्यान रखने के साथ धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों से दूरी बनाकर निमोनिया से खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है। सबसे खास बात सांस से संबंधित किसी भी तरह की दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें, खुद से किसी भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। बच्चों में निमोनिया का खतरा अधिक होता है, ऐसे में समय-समय पर डॉक्टर की सलाह पर जांच कराते रहें।

Related Articles

Back to top button