जानें वायु प्रदूषण क्या है, कितना खतरनाक होता है धूम कोहरा ? जानें-एक्सपर्ट व्यू
दुनियाभर में वायु प्रदूषण की समस्या अब मानव जाति के एक बड़ी समस्या बन चुकी है। अगर वक्त रहते स्थितियों पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो फिर यह पूरी मानव सभ्यता के साथ धरती के अस्तित्व के लिए भी संकट उत्पन्न कर सकता है। वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। क्या आप जानते हैं कि ये दुनिया की आबोहवा क्यों प्रदूषित हो रही है। इसके बड़े कारण और कारक कौन हैं। इसके लिए आखिर हम यानी मानव कितने जिम्मेदार हैं। क्या हमारे थोड़े से प्रयास और सजगता से धरती और मानव सभ्यता को बचाया जा सकता है। आज हम आपको एकदम सरल शब्दों में वायु प्रदूषण के बारे में बताते हैं। इसके साथ यह बताएंगे कि यह किन कारणों से होता है। इसके लिए कौन से कारक हैं। क्या इसे नियंत्रित किया जा सकता है। पर्यावरणविद विजय बघेल से बातचीत पर आधारित।
आखिर वायु प्रदूषण कैसे होता है ?
1- पहले यह जान लें कि मानव जाति के लिए स्वच्छ वायु बेहद जरूरी है। हम कुछ समय तक भोजन के बिना जीवित रह सकते हैं, लेकिन वायु के बिना हम कुछ क्षण भी जीवित नहीं रह सकते। इससे हमारे जीवन में वायु के महत्व को समझा जा सकता है। जब हवा प्रदूषित हो जाती है तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं। सवाल यह है कि वायु प्रदूषण कैसे फैलता है। देखिए, इसके लिए प्रकृति और मानव दोनों वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, लेकिन मानव की विकास प्रक्रिया ने वायु प्रदूषण की गति को तेज किया है।
2- इसे सामन्य भाषा में समझिए जब वायुमंडल में धुएं की मात्रा में इजाफा होता है तो वायु प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है। वायुमंडल में जब इसकी मात्रा एक सीमा से ज्यादा बढ़ जाती है, तो स्थिति विकट हो जाती है। प्रकृति में होने वाली घटनाओं जैसे ज्वालामुखी का फटना, वनों में आग लगने से उठने वाला धुआं भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। प्राकृतिक घटनाएं कभी कभार होती हैं इसलिए यह बहुत चिंता का विषय नहीं है। लेकिन मानव के क्रियकलाप से वायुमंडल में प्रदूषण की स्थिति विस्फोटक हो गई है। इन वायु प्रदूषकों में फैक्टरी से निकलने वाला धुआं, विद्युत संयंत्र, स्वचालित वाहन निर्वातक, ईंधन के रूप में प्रयोग में लाई जा रही लकड़ी तथा उपलों के जलने से निकलने वाला धुओं वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं।
3- देश और दुनिया में वाहनों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वाहन अधिक मात्रा में कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड तथा धुआं उत्पन्न करते हैं। पेट्रोल तथा डीजल जैसे ईंधनों के दहन से कार्बन मोनोआक्साइड पैदा होती है। यह एक विषैली गैस है। यह मानव के रक्त में आक्सीजन वाहक क्षमता को घटा देती है।
4- डीजल तथा पेट्रोल के दहन से चलने वाले स्वचालित वाहनों द्वारा अत्यन्त छोटे कण भी उत्पन्न होते हैं। अत्यधिक समय तक वायु में रहने से दृश्यता को घटा देते हैं। यह सांसों में पहुंचकर शरीर के भीतर कई तरह के रोग उत्पन्न करते हैं।
यह खतरनाक धूम कोहरा क्या है ?
दरअसल, धूम कोहरा धूल, धुएं और कोहरे का मिश्रण होता है। धुएं में खतरनाक नाइट्रोजन आक्साइड और अन्य जहरीली गैसों तथा कोहरे के मिश्रण से धूम कोहरा बनता है। यह एक खतरनाक संयोग है। इसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे बच्चे और वृद्ध लोगों को काफी दिक्कत होती है। इससे दमा, खांसी और बच्चों में सांस के साथ हरहराहट उत्पन्न होती है। यह बेहद खतरनाक होता है।
धूम कोहरा के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार है ?
बहुत से उद्योग वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। जैसे पेट्रोलियम इंडस्ट्री से सल्फर डाइआक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइआक्साइड खतरनाक गैसें निकलती है। इसके अलावा विद्युत संयंत्रों में कोयला जैसे ईंधन के उपयोग से सल्फर डाइआक्साइड निकलती है। यह सीधे तौर पर हमारे फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती हैं।
फ्रिज और एयरकंडीशन किस तरह से हानिकाक हैं ?
हमारे पर्यावरण के लिए फ्रिज और एयरकंडीशन भी बेहद खतरनाक है। इन दोनों से एक जहरीली गैस निकलती है। इसे क्लोरोफ्लोरो कार्बन कहते हैं। इस गैस से वायुमंडल की ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो जाती है। इससे निकलने वाली गैस वायुमंडल को प्रदूषित कर रही है। ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमें बचाती है।
दिल्ली विश्व के शीर्ष प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में सूचीबद्ध
दिल्ली की वायु गुणवत्ता में वर्ष 2019-2020 के दौरान लगभग 15 फीसद की वृद्धि हुई है। दिल्ली को 10वें सबसे प्रदूषित शहर और विश्व के शीर्ष प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। गाजियाबाद विश्व का दूसरा और भारत का पहला सबसे प्रदूषित शहर है। वर्ष 2020 के अधिकांश दिनों में उत्तर भारतीय शहरों की तुलना में दक्षिण भारत के शहरों में अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। हालांकि, भारत के प्रत्येक शहर में वर्ष 2018 और इसके पहले की तुलना में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया, जबकि 63 फीसद शहरों में वर्ष 2019 की तुलना में प्रत्यक्ष सुधार देखा गया।