जल विवाद पर चर्चा के लिए फरवरी के पहले सप्ताह में कर्नाटक सरकार बुलाएगी सर्वदलीय बैठक
जल विवाद पर चर्चा के लिए फरवरी के पहले सप्ताह में कर्नाटक सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने शनिवार को दी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने को कहा कि अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम की समीक्षा करने का समय अब आ गया है। उन्होंने कहा कि यह कानून समाधान देने से अधिक विवाद पैदा कर रहा है। मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा,’कुछ कानूनी हस्तक्षेप जरूरी हो गए हैं, इसमें विलंब बहुत महंगा पड़ेगा जो कि हमारे आधारभूत ढांचे को प्रभावित कर रहा है। अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम के कारण हमारी सिंचाई परियोजनाओं में देरी हो रही है। वास्तव में यह कानून समस्याएं सुलझाने से ज्यादा विवाद पैदा करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराज्यीय जल विवादों का एक ही चरण में समाधान करने के लिए कई स्तरों वाली व्यवस्था को हटा दिया जाए। इससे पहले द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन द्वारा शुक्रवार को लंबे समय से लंबित मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए बसवराज बोम्मई ने कहा था कि कृष्णा और कावेरी दोनों नदियों के संबंध में विभिन्न अदालती मामलों के कानूनी पहलुओं के बारे में उनकी लंबी चर्चा हुई। कर्नाटक सरकार इस महीने के अंत में या फरवरी के पहले सप्ताह में इस मामले पर विस्तार से चर्चा करने के लिए एक वीडियो कॉन्फ्रेंस करेगी।
मामले में तमिलनाडु के दबाव से नाराज बोम्मई ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु के दावे पर संज्ञान लिया है और वह सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ इस मामले में विस्तृत चर्चा करेंगे। सर्वदलीय परामर्श के बाद ही वह अपने कदम पर आगे बढ़ेंगे।
उल्लेखनीय है कि होगेनक्कल जलप्रपात (Hogenakkal Falls) कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमाओं पर धर्मपुरी से 46 किमी की दूरी पर स्थित है। साइट के माध्यम से कावेरी नदी बहते पानी के साथ एक बड़ी नदी के रूप में तमिलनाडु में प्रवेश करती है। ऐतिहासिक होगेनक्कल जल संघर्ष दोनों राज्यों के बीच होगेनक्कल एकीकृत पेयजल परियोजना के विकास को लेकर विवाद है।