आज गणेश चतुर्थी पर सभी बाधाओ और संकट दूर करने के लिए करे भगवान गणेश के संकटनाशन स्तोत्र का पाठ…
आज माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी के पूजन का विधान है। इस दिन संकट हर्ता, मंगलकर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ माह की विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जयंती का पूजन किया जाता है।इस दिन गणेश वंदन करने से भक्तों के सभी विघ्न और संकट दूर होते हैं । पंचांग गणना के अनुसार विनायक गणेश चतुर्थी का पूजन आज 04 फरवरी, दिन शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश का व्रत रख कर, पूजन में उन्हें लड्डू और दूर्वा का भोग जरूर लगाएं। हिंदू धर्म में गौरीसुत गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना जाता है। गणेश जंयती के दिन लाल या पीले रंग के कपडे धारण कर उनका पूजन करना चाहिए। पूजन में गणेश जी को सिंदूर से तिलक करें। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
जीवन की सभी बाधाएं और संकट दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। देवर्षि नारद के रचित इस संकटनाशन स्तोत्र का पाठ जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर करता है और भक्तों के सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥