आप इमरजेंसी फंड के लिए सोच रहे है तो इन बातों का रखे ध्यान

इमरजेंसी कहकर नहीं आती। यह बिना बताए आती है और किसी भी अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग को पटरी से उतार देती है। रुपये-पैसे के मामले में समझदारी इस बात में होती है कि आप इमरजेंसी के लिए हमेशा तैयार रहें और इसके लिए एक फंड बनाकर रखें। हालांकि, कुछ ऐसे पहलू भी हैं, जिन पर इमरजेंसी फंड बनाते समय आपको ध्यान देना चाहिए। आइए इन पहलुओं के बारे में जानते हैं :

आसान एक्सेस करिए सुनिश्चित

इमरजेंसी फंड बनाते समय इस चीज पर ध्यान देने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। बस आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तक आपकी पहुंच बहुत सहज हो। कोई भी मुश्किल भरी परिस्थिति आपको रिएक्ट करने का समय नहीं देती है। हर सेकंड काउंट होता है और हर दिन मैटर करता है। ऐसे में अगर फंड बनाने के बाद एक्सेस आसान नहीं रह जाता है तो फंड बनाने का पूरा मकसद ही व्यर्थ हो जाता है।

आपको ऐसे इंस्ट्रूमेंट में पैसे लगाने से बचना चाहिए जिसे कंवर्ट करना मुश्किल हो। उदाहरण के लिए अगर आप इमरजेंसी फंड बनाना चाह रहे हैं तो आपको रियल एस्टेट में पैसे नहीं लगाने चाहिए। आप इन्हें तत्काल कैश में नहीं कंवर्ट करा पाएंगे। इसके साथ ही इसमें काफी अधिक पेपरवर्क होता है जिसमें आपका काफी वक्त चला जाएगा। ऐसे में आप ऐसे इंस्‍ट्रूमेंट्स पर ध्यान देना चाहिए जिसे आप एक बारे में लिक्विडेट कर सकते हैं।

पूंजी की सुरक्षा

इमरजेंसी में हरेक पैसे का महत्व होता है। ऐसे में आपको पूंजी की सेफ्टी सुनिश्चित करनी चाहिए और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि मार्केट में उतार-चढ़ाव होने पर आपका पैसा कम ना हो। इस मामले में बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे सुरक्षित विकल्प में से एक हैं क्योंकि इनमें निवेश करने पर आपको निश्चित रिटर्न मिलता है। इसके साथ ही आप जरूरत पड़ने पर उसे लिक्विडेट कर सकते हैं। ऐसे में अगर आप मेच्योरिटी से पहले FD तोड़ते हैं तो आपको एक मामूली पेनाल्टी भरना होता है।

आप ऐसे लिक्विड फंड्स में भी पैसा लगा सकते हैं, जो सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं और 91 दिन में मेच्योर होते हैं। लिक्विड फंड्स बैंक एफडी और सेविंग अकाउंट से ज्यादा रिटर्न देते हैं। इसके साथ ही ये सिक्योरिटीज तीन माह से थोड़े अधिक समय में मेच्योर हो जाते हैं। ऐसे में यह ब्याज दर के जोखिम को भी कम कर देता है।

लिक्विड फंड्स और फिक्स्ड डिपोजिट के अलावा आपको कुछ पैसे अपने सेविंग अकाउंट में भी रखने चाहिए, जिन्हें आप जरूरत पड़ने पर कभी भी निकाल पाएंगे।

रिटर्न के पीछे मत भागिए

इमरजेंसी फंड बनाते समय रिटर्न के पीछे भागना सबसे बड़ी गलती है। असल में इमरजेंसी फंड बनाते समय रिटर्न की बात सबसे आखिर में आपके ध्यान में आनी चाहिए। अगर आप रिटर्न चाहते हैं तो आपको आपने पैसे अधिक जोखिम वाले इंस्ट्रूमेंट में लगाने पड़ते हैं जिससे पूंजी में कमी का भय बढ़ जाता है। अपने परिवार के सदस्यों को इस बारे में एजुकेट करना भी काफी अहम होता है कि वे आपके नहीं रहने पर इन फंड्स को कैसे एक्सेस कर सकते हैं।

एक साल के खर्च के बराबर फंड तैयार कीजिए

पहले छह माह के खर्च के बराबर रकम का फंड बनाने की सलाह दी जाती थी, लेकिन कोविड-19 से इमरजेंसी के लिए फंड तैयार करने को लेकर एक नया नजरिया विकसित हुआ है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए कम-से-कम 1 साल का फंड बनाने की सलाह दी जाती है। इससे आपके हाथ में काफी समय होगा और साथ ही एक तरह की फ्लेक्सिबिलिटी होगी।

निष्कर्ष

अन्य चीजों के साथ-साथ खर्च होने पर फंड को दोबारा भरना भी काफी अहम होता है। इसके साथ-ही-साथ यह कहा जा सकता है कि इन फंड्स का इस्तेमाल लाइफ स्टाइल से जुड़े खर्चों के लिए मत कीजिएगा और इसका इस्तेमाल गैर-जरूरी चीजों के लिए भी मत कीजिए क्योंकि इससे मुश्किल पड़ने पर आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। अपनी कमाई की शुरुआत के साथ ही यह फंड बनाना शुरू कर दीजिए और फंड को बड़ा बनाने के लिए इसमें निश्चित तौर पर इंवेस्ट करना चाहिए।

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