सज्जादिया कालोनी के कई निर्धन लोगों के मकानों पर कब्जे का खतरा मंडराना शुरू

लखनऊ के आलमनगर में स्थित वक़्फ़ सज्जादिया कालोनी के रहने वाले कई निर्धन लोगों के मकानों पर कब्जे का खतरा मंडराना शुरू हो गया है । कभी आलमनगर में स्थित इस वक़्फ़ सज्जादिया कॉलोनी की जमीन पर भू माफिया लल्लू यादव का कब्जा हुआ करता था । हालांकि यह संपत्ति शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में दर्ज थी और शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नक़वी ने एक बड़ी मुहिम चलाकर समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में लल्लू यादव के चुंगल से लगभग 10 बीघा भूमि आजाद करवाई थी । शिया धर्मगुरु सय्यद कल्बे जवाद नक़वी का उद्देश था कि इस वक़्फ़ भूमि को अपराधियों से मुक्त करा कर शिया संप्रदाय के निर्धन लोगों के लिए जहाँ कॉलोनी बनाई जाए वहीं छोटे छोटे प्लाट शिया संप्रदाय के निर्धन लोगों को दिए जाएं और उनका यह ख्वाब पूरा भी हुआ। लगभग 10 बीघा भूमि पर हजारों शिया संप्रदाय के लोगों ने अपना उसे बसेरा बनाया जहाँ कभी अपराधियों का अवैध क़ब्ज़ा था। लेकिन उसी कालोनी के रहने वाले रब्बानी, शादाब, भोलू, इमरान, मोलवी हसन जाफ़र सहित मोहम्मद नामक लोगों ने लाखों रुपए की लालच में उन गरीबों को उजड़वाना शुरू करवा दिया जिन्हें कल्बे जव्वाद नक़वी ने बड़े अरमानों से बसाया था। दरअस्ल इन धन के लोभियों ने मौजूदा मुतवल्ली सय्यद कल्बे जव्वाद नक़वी को तरह तरह की बातें बताकर इन निर्धन लोगों के ख़िलाफ़ करना शुरू किया और किरायदारों के लिए नोटिस चस्पा करवाए गए। जिनं किरायेदारों का किराया बाकी था, तथा निर्धनता के चलते पूरा घर निर्मित नहीं था या फिर और कोई कारण था ,उनके भवनों का अनुबंध निरस्त करवाकर उन्हीं के मकानों का ताला तुड़वाकर दूसरों के नाम उनके भवनों को अलाट करवाकर क़ब्ज़ा दिया जाने लगा। सूत्र बताते हैं कि इस तरह से जिनं लोगों के घरों पर क़ब्ज़ा किया गया उनको जहाँ घर के निर्माण में लगे लाखों रुपए से हाथ धोना पड़ा तो वहीं प्लाट लिए जाने के लिए दिए गए 25 व 50 हज़ार रुपए का भी नुक़सान उठाना पड़ा है। इस पूरे मामले में मोटी मोटी रक़म ली गई और निर्धन लोगों को रोता बिलखता छोड़ दिया गया। इस पूरे मामले में धर्मगुरु कल्बे जवाद नक़वी को गुमराह किया गया है। कॉलोनी वासियों का कहना है कि अब जो कुछ भी गरीबों के साथ अन्याय होरहा है उसका मास्टर माइंड मोहम्मद है, जो कल्बे जवाद को गुमराह करके गरीबों को उजाड़ने का काम कर रहा है। यही कारण है कि पीड़ितों को मौलाना कल्बे जव्वाद से मिलने नही दिया जारहा है, पीड़ितों का कहना है कि उनको अपने मौलाना पर पूरा भरोसा है, जब भी उनको मौलाना से अपना दर्द बयान करने का मौका मिलेगा मौलाना उन लोगों के साथ न्याय ज़रूर करेंगे, पीड़ितों कहना है कि एक नोटिस सज्जादिया कॉलोनी में चस्पा किया गया था, जो मुतवल्ली सय्यद कल्बे जावाद नक्वी की ओर से जारी हुआ था, जिस में समस्त बकायदारों को 20 अप्रैल 2022 तक बकाया किराया जमा करने को कहा गया था। अन्यथा उनके अनुबंध को निरस्त किए जाने की बात स्पष्ट रूप से लिखी गई थी। जाहिर है कि इस नोटिस के बाद लोगों ने मौलाना कल्बे जव्वाद नक्वी के घर और कार्यालय पहुंच कर अपनी बात रखना चाही लेकिन दलाल किस्म के लोगों ने कल्बे जव्वाद नक़वी से उन तमाम पीड़ितों को मिलने ही नहीं दिया । जो उनसे मिलकर अपनी बात रखते और किराया जमा करते । प्रश्न यह है कि जब 20 अप्रैल बकाया किराया जमा करने की तारीख निर्धारित की गई है तो उसके पूर्व किरायेदारों का ताला तोड़कर उसमें जबरन दूसरे व्यक्ति को रखवाना कहां तक उचित है ? यह बात अलग है की जिन लोगों को ताला तोड़कर कब्जा दिया जा रहा है उनके नाम नए अलॉटमेंट किये गए हैं ।लेकिन किस कानून के तहत किसी के घर का ताला तोड़कर उसमें जबरन कब्जा करना लिखा हुआ है ? इस पूरी कार्यप्रणाली में तालकटोरा पुलिस की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है। भवन संख्या 208 के किरायदार जावेद ज़ैदी और भवन संख्या 244 के किरायदार अब्बास ज़ैदी का कहना है कि कल की घटना कि शिकायत उन्होंने कल ही मुख्यमंत्री पोर्टल पर कर दी थी। उनके एक रिश्तेदार नें बताया कि घर के बाहर लगे तालों को तोड़कर उस पर कब्जा किया गया है। पीड़ित ने बताया कि जब थाना तालकटोरा पुलिस को बुलवाया गया तो पुलिस ने विरोधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाए पीड़ित से कहा कि जब आपका अलॉटमेंट निरस्त हो गया है और दूसरे के नाम अलॉटमेंट किया जा चुका है तो इसमें पुलिस क्या कर सकती है। जबकि न तो किसी वक़्फ़ किरायदार को भवन ख़ाली करने का कोई नोटिस दिया गया और न ही मुतवल्ली द्वारा किराया जमा किये जाने की अभी अंतिम तिथि ही निकली है।

Related Articles

Back to top button