SC ने आज महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर दी सहमति, अटैच होंगी 63 मून्स टेक्नोलाजीज की प्रापर्टी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बांबे हाई कोर्ट के आदेश को एक ओर करते हुए महाराष्ट्र सरकार के निर्देश को बरकरार रखा जिसमें 63 मून्स टेक्नेलाजीज की संपत्तियों को अटैच करने का निर्देश दिया गया था। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने इस साल जनवरी में 63 मून्स टेक्नोलाजीज की याचिका पर अपने फैसले में पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लि. के ऋण शोधन समाधान को मंजूरी देते हुए दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लि. (डीएचएफएल) के कर्जदाताओं को वित्तीय कंपनी के टाले जाने वाले लेनदेन के मूल्यांकन पर फिर से विचार करने को कहा था।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में ऋणदाताओं को बिक्री की शर्तों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था, जिसमें पीरामल को 45,000 करोड़ रुपये मूल्य के पिछले लेनदेन से संभावित वसूली की अनुमति दी गई थी। 63 मून्स के पास डीएचएफएल द्वारा जारी 200 करोड़ रुपये से अधिक के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) हैं। उसने एनसीएलएटी के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वर्तमान समाधान योजना एनसीडी धारकों के लिए निराशाजनक है। इसने पीरामल के खिलाफ एनसीएलएटी में एक याचिका दायर कर डीएचएफएल मामले में एक रुपये की कीमत 40,000 करोड़ रुपये की वसूली योग्य संपत्ति बताई थी।
एनसीएलएटी द्वारा जनवरी के आदेश को पारित करने के बाद, 63 मून्स ने कहा कि सीओसी को आईबीसी की धारा 66 के प्रावधान पर पुनर्विचार करना होगा, जिसमें यह अनिवार्य है कि लाभ डीएचएफएल के सभी लेनदारों को जाना चाहिए। हालांकि, अपनी समाधान योजना में, सीओसी ने पीरामल समूह के लाभ के लिए इस प्रावधान की अनदेखी की थी।