गोरखपुर विश्वविद्यालय में सिंथेटिक एथलीट ट्रैक के लिए स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया साई ने दी मंजूरी….

 एथलीट के खिलाड़ियों को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में बहुत जल्द एक बड़ी सुविधा मिलने जा रही है। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर के सिंथेटिक एथलीट ट्रैक पर अभ्यास करने का मौका मिलेगा, जिससे वह अपनी खेल प्रतिभा को निखारकर राष्ट्रीय स्तर का बना सकेंगे। इस ट्रैक पर उन्हें राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी का अवसर भी मिलेगा क्योंकि ट्रैक बनवाने के बाद विश्वविद्यालय इसपर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करने की तैयारी में है। आठ लेन का सिंथेटिक ट्रैक को बनाने के लिए स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया ‘साई’ ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। भारत सरकार की ओर से बहुत जल्द इसके लिए बजट आवंटित किया जाएगा।

ट्रैक को बनाने में आएगी नौ करोड़ 12 लाख की लागत: परिसर में खेल को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने बीते वर्ष खेलो इंडिया के तहत 32.7 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया था। तत्कालीन क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष प्रो. अजय शुक्ला के प्रस्ताव में कुछ संशोधन के बाद विश्वविद्यालय ने इसे राज्य सरकार को भेज दिया था। राज्य सरकार ने प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद उसे भारत सरकार के खेल मंत्रालय को भेज दिया। उसके बाद साईं की टीम ने विश्वविद्यालय परिसर आकर प्रस्ताव के मुताबिक खेल को बढ़ावा देने के लिए संभावनाओं को तलाश की। सिंथेटिक एथलीट ट्रैक बनाने की संभावना दिखी, सो उसकी मंजूरी दे दी। इस ट्रैक को बनाने में नौ करोड़ 12 लाख की लागत आएगी। ट्रैक 400 मीटर का होगा। धन आवंटित होने के बाद निर्माण एजेंसी का चयन किया जाएगा।

इन सुविधाओं के लिए मंजूरी का है अब भी इंतजार: विश्वविद्यालय ने खेलों इंडिया के तहत सिंथेटिक एथलीट ट्रैक के अलावा हाकी एस्ट्रोटर्फ ट्रैक, अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्वीमिंग पुल और बहुउद्देशीय भवन का प्रस्ताव भेजा था। इसमें से साई ने अभी केवल एक को मंजूरी दी है, ऐसे में प्रस्ताव में शामिल किए गए अन्य योजनाओं की स्वीकृति का विश्वविद्यालय को अभी भी इंतजार है।

गोविवि के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि खेलो इंडिया के तहत चार योजनाएं तैयार कराकर प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। साईं ने इनमें से एक सिंथेटिक एथलीट ट्रैक तैयार करने की मंजूरी दे दी है। जल्द ही नौ करोड़ रुपये का बजट जारी हो जाएगा। एथलीट ट्रैक बनने से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं हो सकेंगी। इससे खेल को बढ़ावा मिलेगा।

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