कालाकांकर में सुमित्रानंदन पंत जी की जयंती मनाई गई, ग्राम प्रधान मनीष सिंह ने दी श्रद्धांजलि
प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाने वाले छायावादी युग के कवि सुमित्रा नंदन पंत की 122वीं जयंती को कालाकांकर के नक्षत्र शाला में मनाया गया। सुमित्रानंदन पंत जी मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रहने वाले थे लेकिन जीवन का महत्वपूर्ण समय कालाकांकर में व्यतीत किया। यहीं नक्षत्रशाला में रहकर अपनी महत्वपूर्ण रचनाएं लिखी.. जिसमे उनकी नौका विहार शीर्षक कविता में नदी में हिलोरें लेती अपनी अनुपम छटा बिखेरती कालाकांकर रियासत की राजकुमारी रत्ना सिंह का राजभवन है। श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कालाकांकर रियासत परिवार के और कालाकांकर के ग्राम प्रधान कुंवर मनीष सिंह ने कहा सुमित्रा नंदन पंत जी का जन्म प्राकृतिक सौंदर्य से ओत प्रोत अल्मोड़ा में हुआ था जिसके कारण उन्हें प्रकृति से बेहद लगाव था। गंगा नदी के तट पर बसा कालाकांकर रियासत भी अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता की अपनी गोद में समेटे हुए है जो सुमित्रानंदन पंत जी को काफी रास आया जिसके कारण उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक यहां रहकर अपनी समस्त महत्वपूर्ण रचनाएं कीं। उनके जीवन काल का यह क्षण कालाकांकर के इतिहास का स्वर्णिम काल है जिसे कालाकांकर के लोग कभी नही भुला सकते। पुष्पांजलि अर्पित करने वालों में अवधेश सिंह ,आलोक सिंह , उदय भान सिंह, अनूप सिंह, राम सिंह, काजू आदि मौजूद रहे।