स्टार्टअप को लेकर बदल रही है कई विद्यार्थियों की सोच, छोड़ रहे हैं नौकरी के आफर

Startups In Indore: गजेन्द्र विश्वकर्मा, इंदौर। कुछ वर्षों में कई विद्यार्थियों की सोच स्टार्टअप को लेकर बदल रही है। इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि इस समय अधिकांश इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में विद्यार्थी नौकरी के आफर लेने के बजाय अपने विचारों को उत्पाद में बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं। महाविद्यालयों में इंक्यूबेशन सेंटर शुरू हो जाने से स्टार्टअप करने वालों को बढ़ावा मिला है। आइआइटी इंदौर जैसे संस्थान में तीन से चार वर्षों में नौकरी के आफर को ठुकराने वालों की संख्या बढ़ी है। हर वर्षों 15 से 20 विद्यार्थी नामी कंपनियों के लाखों रुपये के पैकेज लेने से मना कर रहे हैं। यही स्थिति आइआइएम इंदौर जैसे संस्थान में भी है।

इसका उदाहरण हैं शिवांकुर गुप्ता और मुदित ठक्कर। श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान (एसजीएसआइटीएस) से शिक्षा ले चुके शिवांकुर गुप्ता आइटी क्षेत्र से हैं। उन्हें प्लेसमेंट प्रक्रिया में कई कंपनियों से नौकरी के आफर थे, लेकिन किसानों के लिए नवाचार के लिए उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया। इसका नाम ट्रैक्टर ज्ञान रखा। स्टार्टअप किसानों को तकनीकी ज्ञान से साक्षर कर रहा है। उन्होंने ऐसा आनलाइन प्लेटफार्म बनाया है जहां तकनीकी शिक्षा किसान ले सकते हैं। प्लेटफार्म पर किसानों को अपने पुराने ट्रैक्टर बिना किसी शुल्क के बेचने के लिए भी विकल्प दिया गया है। शिवांकुर 30 से ज्यादा युवाओं को रोजगार दे रहे हैं।

एक निजी विश्वविद्यालय से आइटी विषय में सफल मुदित ठक्कर का प्लेसमेंट 4.5 लाख के वार्षिक पैकेज में हो गया, लेकिन उन्होंने नौकरी का आफर छोड़ खुद का यंगोवेटर नाम से स्टार्टअप शुरू किया। इसके तहत वे आठ से लेकर 18 वर्ष के विद्यार्थियों को उद्यमी बनाने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य सिखा रहे हैं। बचपन से ही उद्यमी बनाने की ओर ले जाने के लिए वे विद्यार्थियों से स्टार्टअप के प्रोजेक्ट के माध्यम से तैयारी करा रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ वर्षों बाद इस बात की बहुत संभावना है कि महाविद्यालय में ही अधिकांश विद्यार्थी नवाचार आधारित स्टार्टअप की इच्छा जाहिर करेंगे।

बिना समय गवाए विद्यार्थी इसकी शुरुआत करना चाहते हैं

इस बारे में आइआइएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय का कहना है कि अब युवा महाविद्यालय जीवन में ही शिक्षा लेने के साथ उद्योगों के अनुभव जान रहे हैं। नवाचार के लिए महाविद्यालय स्तर पर ही कई कार्य कर रहे हैं और देश-दुनिया में हो रहे बदलावों को जानने के लिए उत्सुक हो रहे हैं। इससे व्यवसाय के नए विचार आ रहे हैं और बिना समय गवाए विद्यार्थी इसकी शुरुआत करना चाहते हैं।

प्रदेश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग संस्थान एसजीएसआइटीएस में हर वर्ष करीब एक हजार विद्यार्थियों को नौकरी के आफर मिलते हैं। इसमें 2018 के बाद से आफर को स्वीकार नहीं करने वालों की संख्या बढ़ी है। संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश सक्सेना का कहना है कि 10 से 15 प्रतिशत विद्यार्थी या तो प्लेसमेंट प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो रहे हैं या आफर लेटर लेने के बाद कंपनियों में नियुक्ति नहीं ले रहे।

महाविद्यालयों में ही तैयार हो रहे स्टार्टअप

एक्रोपोलिस कालेज के ट्रेनिंग और प्लेसमेंट अधिकारी अतुल भारत का कहना है कि अब महाविद्यालय ही युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए आगे आ रहे हैं। कुछ निजी महाविद्यालय हैं, जहां दो वर्ष में आठ से दस स्टार्टअप तैयार हुए और सफलतापूर्वक संचालित भी हो रहे हैं। महाविद्यालय में ही व्यवसाय की शुरुआत करने के पीछे युवाओं की यह भी सोच होती है कि वे नौकरी में यदि तीन से चार वर्ष कार्य करते हैं और फिर अपने विचार पर काम करना शुरू करते हैं तो इसमें देर हो जाती है। बात अगर कंपनियों के अनुभव की है तो वे स्टार्टअप के लिए अनुभवी मेंटर रख लेते हैं, जो उन्हें बताते हैं कि स्टार्टअप को कब और कैसे आगे बढ़ाना है?

स्कूलों में भी खुलेंगे इंक्यूबेशन सेंटर

ज्यादा से ज्यादा महाविद्यालय अपने यहां इंक्यूबेशन सेंटर या स्टार्टअप सेल शुरू कर रहे हैं। इससे विद्यार्थी स्टार्टअप करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। ‘इन्वेस्ट इंदौर” के सचिव सावन लड्ढा का कहना है कि हम सरकार के साथ मिलकर प्रदेश के स्कूलों में भी इंक्यूबेशन और स्टार्टअप सेल की शुरुआत करने जा रहे हैं। इसके लिए अधिकारियों के बीच बैठक हो चुकी है और कुछ महीने में स्कूलों में सेंटर स्थापित होना शुरू हो जाएंगे।

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