इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मंत्रालय (MeitY) ने राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क का मसौदा जारी किया है। यह मसौदा सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्र की कंपनियों द्वारा सेवाओं में सुधार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नागरिकों के गैर-व्यक्तिगत डेटा को जुटाने के संबंध में है। मसौदा नीति में एक गैर-व्यक्तिगत डेटा आधारित भारत डेटासेट कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव है। इसमें यह सुनिश्चित करने के तरीकों और नियमों को संबोधित किया गया है कि अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा सरकारी तथा निजी, दोनों संस्थाओं के गैर-व्यक्तिगत और अनामीकृत डेटा तक सुरक्षित पहुंच हो।

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) स्टार्टअप, एआई अनुसंधान संस्थाओं और सरकारी विभागों के हित के लिए है। उन्होंने ट्वीट किया, “भारत की 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था को उत्प्रेरित करने के लिए पॉलिसी फ्रेमवर्क का यह छोटा सा हिस्सा विकसित किया जा रहा है।” मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क सभी विभागों में डेटा भंडारण और प्रबंधन के लिए सामान्य मानकों, नियमों और दिशानिर्देशों के साथ डिजिटल सरकार और सरकार के डिजिटलीकरण को भी तेज करेगा।
मसौदे में कहा गया है कि COVID-19 महामारी के दौरान, डिजिटल गवर्नेंस ने महामारी के प्रति भारत की लचीली प्रतिक्रिया और जीवन, आजीविका तथा अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव में बड़ी भूमिका निभाई है। इसमें कहा गया कि कोविड के बाद के युग में, सरकार का डिजिटलीकरण तेजी से हो रहा है और डेटा निर्माण भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसका उपयोग नागरिकों के अनुभव और सरकार तथा शासन के साथ जुड़ाव को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।
मसौदे में कहा गया है कि डिजिटल सरकारी डेटा वर्तमान में अलग-अलग सरकारी संस्थाओं में अलग-अलग और असंगत तरीकों से प्रबंधित, संग्रहीत और एक्सेस किया जाता है, जो डेटा-ड्रिविन गवर्नेंस की प्रभावकारिता को कम कर रहा है और और डेटा विज्ञान, विश्लेषिकी और एआई के इनोवेटिव इकोसिस्टम को अपनी पूरी क्षमता से उभरने से रोक रहा है।