सही मायने में साहित्य का मंदिर है गीताप्रेस: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द 

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि सनातन धर्म को बचाए रखने में जितना योगदान हमारे मंदिरों और तीर्थस्थलों का है, उतना ही गीताप्रेस के धार्मिक साहित्य का भी है। धर्म-आध्यात्म और भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने में इसका योगदान अद्वितीय है। सही मायने में गीताप्रेस साहित्य का मंदिर है।

गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन अवसर पर शनिवार को पहुंचे राष्ट्रपति ने इस बात की इच्छा भी जताई कि जितना जल्दी हो सके, दुनिया के सभी देशों में इसकी शाखाएं स्थापित कराई जाएं। इसमें हमारे सचिवालय से लेकर दूतावास और उच्चायोग भी पूरी मदद करेंगे।

दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द देश की पहली महिला नागरिक सविता कोविन्द, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ शाम पांच बजे गीताप्रेस पहुंचे। गीताप्रेस के ऐतिहासिक मुख्यद्वार के अवलोकन के साथ उसका इतिहास जानकर गर्वित राष्ट्रपति ने लीलाचित्र मंदिर का भी भ्रमण किया। अपने संबोधन के दौरान अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जिन कल्पनाओं को चित्रों का रूप दिया गया है वह दैवी योग से ही संभव है। संपूर्ण गीता को इंच में समाहित करने वाले कलाकार पर निश्चित ही भगवान की कृपा होगी।

गीताप्रेस की विश्व विख्यात पत्रिका कल्याण के संपादक रहे भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संसार में जितने भी बड़े कार्य होते हैं, उनके पीछे दैवी शक्ति अवश्य होती है। रामचरित मानस हो या कुरुक्षेत्र का महाभारत हनुमान के बिना कुछ भी नहीं हो सका। गीताप्रेस को भी आगे ले जाने में भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार की भूमिका अमिट रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि मेरे जैसे साधारण व्यक्ति के मन में अवधारणा थी कि गीताप्रेस में एक प्रेस होगा, पुराना भवन होगा, कुछ कर्मचारी और प्रिटिंग मशीन होगी, लेकिन यहां आकर मेरी अवधारणा बदल गई। यहां अद्भुत कार्य देखने को मिला है।

गीताप्रेस के विस्तार पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मैं जब राजकीय दौरे पर विदेश जाता हूं, तो मुझे पता चलता है कि वहां के भारतीय लोगों में अपनी संस्कृति को बनाए रखने की कितनी लालसा और उत्सुकता है। कई देशों में गीताप्रेस की पुस्तकें और प्रकाशन अत्यंत लोकप्रिय हैं। मैं चाहता हूं कि गीताप्रेस की शाखाएं सभी देशों में स्थापित हो, जिससे पूरा विश्व भारत की संस्कृति और दर्शन से लाभान्वित हो सके। हमारे संस्कारों, विचारों और परंपराओं को आगे बढ़ाने में गीताप्रेस का साहित्य बहुत बड़ा स्रोत बन सकता है। जितनी जल्दी हो सके यह काम किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गीता पर आधारित टीका तत्वविवेचनी व आर्ट पेपर पर प्रकाशित रामचरितमानस के नवीन संस्करण का विमोचन भी किया।

धर्म-शासन का समागम हैं योगी आदित्यनाथ: मंचासीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म और शासन एक साथ चलते हैं। दोनों एक दूसरे के पूरक भी हैं। हमारे देश के राजाओं ने दोनों का एक साथ पालन कर इसका उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। वही दृश्य यहां भी देखने को मिल रहा है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री भी हैं और गोरक्षपीठाधीश्वर भी। एक ही व्यक्ति में दोनों चीजों का समाहित होना बड़ी बात है।

यात्रा अधूरी है, फिर आऊंगा: राष्ट्रपति ने कहा कि जब मैं लीला चित्र मंदिर का भ्रमण कर रहा था, तो मुझे महसूस हुआ कि आज की मेरी यह यात्रा अधूरी है। अभी मुझे एक बार और आना है। कब आना है यह दैव संयोग कब होगा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि मेरी यह इच्छा जल्द से जल्द पूरी हो।

नारी शक्ति का सम्मान सद्गुणों का प्रमाण: कार्यक्रम में महिलाओं के लिए ऊंचाई पर बनी अलग दीर्घा देख प्रसन्न हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे अच्छा लगा कि मेरी बहन, बेटियों को यहां ऊंचा स्थान मिला है। इस प्रकार की भावनाएं दैवी या सद्गुणों के चलते ही आती हैं।

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