इस मंदिर में गिलहरी के रूप में विराजमान है बजरंगबली
दुनियाभर में श्री राम भक्त हनुमान जी के भक्तों की कमी नहीं है और इनके ढेरों मंदिर भी हैं, जिनकी अलग आस्था मान्यता है। केवल यही नहीं बल्कि सभी जगह हनुमान जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। जी हाँ और ऐसे ही अलीगढ़ में एक ऐसा मंदिर है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जी हाँ और यहां पर हनुमान जी को गिलहरी के नाम से पूजा जाता है। जी दरअसल यहाँ के भक्तों का कहना है यहां 41 दिन पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जी दरअसल, गांधी पार्क थाना इलाके के अचल सरोवर पर 50 से अधिक देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं। वहीँ दूसरी तरफ अचल सरोवर के किनारे हनुमान जी को समर्पित श्री गिलहराज जी महाराज मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध भी बना हुआ है।
कहा जाता है श्री हनुमान जी कि यहां पर गिलहरी के रूप में पूजा अर्चना की जाती है और इस मंदिर के आसपास करीब 50 से ज्यादा मंदिर है लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यताएं सबसे ज्यादा ऊपर है। जी हाँ और यहां हर मंगलवार को दूरदराज से चलकर लोग श्री हनुमान जी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। वहीँ लोगों का कहना है 41 दिन दर्शन करने से यहां हर मनोकामना पूरी होती है। जी दरअसल यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है और मंदिर के महंत ने बताया जाता है कि श्री गिलहराज जी महाराज के इस प्रतीक की खोज सबसे पहले पवित्र धनुर्धर श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने की थी जो एक सिद्ध विधर्मी थे। मान्यता है कि हनुमान जी इन्हें सपनों में मिले थे।
वह अकेले थे जिसे पता था कि भगवान कृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने पहली बार हनुमान को गिलहरी के रूप में पूजा की थी। अचल ताल के मंदिर में भगवान हनुमान जी की आंख दिखाई देती है। सपने में दर्शन देकर हनुमान जी ने बताया था। वहीँ इस मंदिर का निर्माण सैकड़ों वर्ष पुराने समय में नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था। बताया जाता है हनुमान जी उन्हें सपने में उन्हें दर्शन दिए थे कहा कि अचल ताल पर निवास करता हूं। वहां मेरी पूजा करो।
जब उस महंत ने अपने शिष्य को अचल सरोवर पर खोज करने के लिए भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरीया मिली। जी हाँ और उन्हें हटाकर जब उन्होंने उस जगह को हावड़ा से खोदा तो वहां जमीन के नीचे से मूर्ति निकली, यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी। वहीँ जब महंत जी को इस बारे में अवगत कराया गया तो वह भी अचल सरोवर पर आ गए और इस मंदिर को बहुत ही प्रसिद्ध बताया जाता है। जी हाँ और यह अनुमान लगाया जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने यहां अचल सरोवर पर पूजा पाठ किया था।