भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह अपनी नीति बैठक में 35-50 आधार अंक की वृद्धि कर सकता

आम आदमी पर क्या होगा असर

वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (The monetary policy committee- MPC) की बैठक 3-5 अगस्त, 2022 तक आयोजित होने जा रही है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन चलने वाली इस द्विमासिक बैठक में कई अहम फैसले होने की उम्मीद है।बैठक के नतीजों का ऐलान 5 अगस्त को किया जाएगा।

ईसीबी और यूएस फेड द्वारा दरों में वृद्धि और मुद्रास्फीति के सात फीसद से ऊपर बने रहने के चलते माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि कर सकता है। इस बात की उम्मीद भी जताई जा रही है कि बैंक अपने रुख में बदलाव करते हुए दरों को लेकर तटस्थ रह सकता है। बता दें कि अब तक आरबीआई रेपो रेट में 90 बेसिस का इजाफा कर चुका है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट और जून में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। इसे देखते हुए यह पहले से अनुमान लगाया जा रहा है कि एमपीसी बुधवार को अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार दरों को बढ़ा सकता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही इसका संकेत दे चुके हैं। हाल के दिनों में महंगाई में कोई खास कमी नहीं देखने को मिल रही है, ऐसे में दरों में बढ़ोतरी होने की आशंका जताई जा रही है।

आम आदमी पर क्या होगा असर

बैंक अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं। बाद में बैंक इसी हिसाब से ग्राहकों को कर्ज देते हैं। जब बैंकों को कम ब्याज दर पर कर्ज मिलता है यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज देते हैं। यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में वृद्धि करता है तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और इसे वे अपने ग्राहकों को महंगा कर्ज देंगे। अगर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट में बदलाव करता है तो भी उसका असर आम आदमी पर जरूर पड़ेगा।

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