लीडर होने या लीडरशिप के लिए किसी बड़े ओहदे की आवश्यकता नहीं

ओहदे की आवश्यकता नहीं

अच्छे नंबरों के पीछे भाग रहे युवा के पास स्कूल-कालेज में खेलकूद या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का न तो समय है और न ही वह इसे जरूरी मानते हैं। जबकि आगे चलकर यही जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत बन जाता है।

 आज के युवा लीडर बनने के लिए बड़े पदों को ही जरूरी समझते हैं, जबकि लीडर होने या लीडरशिप के लिए किसी बड़े ओहदे की आवश्यकता नहीं। आज का युवा अच्छे नंबरों के पीछे इतना भाग रहा है कि किसी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी को समय ही नहीं दे पाता। स्कूल और कालेज में खेलकूद या किसी सांस्‍कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने को अब बिलकुल भी जरूरी नहीं माना जाता, जबकि यह आगे चलकर जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत बन जाता है। हालांकि तब तक देर हो चुकी होती है। इसे और सहज तरीके से समझाने के लिए आपसे एक किस्‍सा साझा करता हूं।एक परिवार में दो बेटे थे, जो कि क्रमशः 10वीं और 12वीं में थे। बड़ा भाई पढ़ाई को लेकर बहुत फोकस्ड था और हमेशा 90 प्रतिशत से अधिक नंबर लाता था, जबकि छोटा भाई मस्तमौला किस्म का था। लगभग सभी तरह के कल्चरल इवेंट्स और खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेता और विद्यार्थियों-अध्यापकों के बीच बहुत लोकप्रिय था। उसके नंबर 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहते थे।

एक दिन दोनों भाई रात को घर की तरफ जा रहे थे, तभी एक बाइक सवार एक छोटे बच्चे को टक्कर मारकर भाग गया। बड़ा भाई बोला- हमको इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए। पुलिस केस है, लेकिन छोटे भाई ने बिना कुछ सोचे समझे उस बच्चे को उठाया और सुनसान सड़क पर तेजी से दौड़ने लगा। खेलों के कारण उसमें जो ताकत पैदा हुई थी, उसके साथ उसके साहस ने मदद की और लगभग दो किलोमीटर दूर हास्पिटल में लेकर आया और उस बच्चे की जान बच गई।

अगले दिन जब लोगों को इस घटना के बारे में पाता चला तो छोटे भाई की बहुत तारीफ हुई। स्कूल में उसका सम्मान किया गया। समय गुजरता गया। दोनों भाई इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके नौकरी करने लगे। जब मैं उनसे कुछ वर्षों बाद मिला तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि छोटा भाई प्रोजेक्ट मैनेजर बन चुका है, जबकि बड़ा भाई अभी भी जूनियर पद पर ही है। मेरे पूछने के बाद पता चला कि छोटा भाई ज्वाइन करने के थोड़े ही समय में अपने हेल्पिंग नेचर के चलते पूरे डिपार्टमेंट का प्यारा हो गया।

एक साल के बाद उनका एक प्रोजेक्ट डेडलाइन के करीब था, तभी प्रोजेक्ट मैनेजर का एक्सीडेंट हो गया और उनको लगभग एक महीने के लिए हास्पिटल में एडमिट होना पड़ा। प्रोजेक्ट मैनेजर की अनुपस्थिति में छोटे भाई ने सभी टीम मेंबर्स से कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि बास (प्रोजेक्ट मैनेजर) के न होने के बावजूद हमें प्रोजेक्ट को टाइम पर पूरा करना है। इस पूरे एक महीने में अपना काम करने के साथ-साथ उसने सभी की मदद की और बीच-बीच में मनोरंजन के द्वारा सबको हंसाता भी रहा, उन्‍हें प्रेरित भी करता रहा।

मेरा मानना है कि लीडर का सबसे बड़ा काम उम्मीद दिलाना है, बाकि सब कुछ बाद में आता है। प्रोजेक्ट मैनेजर जब वापस आए, तो इतने खुश हुए कि उसको असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिया गया और अपनी लीडरशिप क्वालिटीज़ के चलते जल्दी ही प्रोजेक्ट मैनेजर भी बन गया। कहते हैं- सफलता तैयारी और मौके का मिश्रण है और हर वह व्यक्ति लीडर है जो आपको जरूरत के समय सपोर्ट करे, रास्ता दिखाए, आपका उत्साहवर्धन करे। लीडर बनने के लिए आपके अंदर भी इसी तरह की भावनाओं का होना जरूरी है। इन खूबियों के बल पर आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल होगी।

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