सिंगापुर में तेल भंडारण टैंकों की मांग बढ़ी

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। उनमें से अहम रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल है। रूसी पेट्रोलियम के आयात पर बैन लगाकर पश्चिमी देशों ने रूस की आर्थिक कमर तोड़नी चाही लेकिन रूस ने उस प्रतिबंध का काट निकाल लिया है और अपने पेट्रोलियम प्रोडक्ट का नई तरकीब के जरिए दुनियाभर के देशों में निर्यात करने लगा है। 

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर में तेल भंडारण टैंकों की मांग बढ़ रही है। यह इस बात का संकेत है कि रूसी ईंधन को वहां मंगवाकर दूसरे टैंकों में डाला जा रहा है और विश्व स्तर पर फिर से निर्यात किया जा रहा है।

टैंक ऑपरेटर्स के एक कार्यकारी अधिकारी और इस मामले में व्यापारियों को सलाह देने वाले सलाहकार के अनुसार, रूस से आ रहे सस्ते तेल के लदान और टैंकों में मिश्रण से सिंगपुर स्थित तेल व्यापारियों को अधिक मुनाफा हो रहा है, इसलिए शहर के टैंक स्पेस छीने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से क्षेत्र में कार्गो व्यवसाय को बढ़ावा मिल सकता है।बता दें कि सिंगापुर ने रूसी तेल या पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
हालांकि, यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद इस द्वीपीय देश ने अपने वित्तीय संस्थानों को रूसी सामान और रूसी कंपनियों के साथ आर्थिक लेनदेन या व्यवहार करने के लिए मना किया था। जब मौजूदा परिस्थितियों और रूसी तेल के आयात के बावत पूछा गया तो सिंगापुर की सरकारी एजेंसियों ने कोई अतिरिक्त टिप्पणी नहीं की और प्रतिबंधों और मूल्य सीमा नीति पर पुराने बयानों का ही हवाला दिया।

हालांकि, रूसी ईंधन का प्रबंधन और व्यापार इस क्षेत्र में एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। कुछ खरीदार कार्गो की खरीददारी करते हुए सामने नहीं आना चाहते हैं। इस बीच, रूसी कच्चे तेल और ईंधन की सप्लाई में एशिया और मध्य पूर्व के देशों में इजाफा हुआ है। 

इसी तरह के शिपमेंट की वजह से संयुक्त अरब अमीरात में सिंगापुर और फुजैराह जैसे सम्मिश्रण और पुनर्वितरण केंद्रों का रास्ता तेजी से साफ हुआ है,जहां पेट्रोलियम पदार्थों को सह-मिश्रन, पुन: पैकेजिंग और पुन: निर्यात विश्व स्तर पर किया जा सकता है।

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